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कसियाडीह (हजारीबाग): गांव की सफाई व्यवस्था बाल संसद के जिम्मे

हजारीबाग. हजारीबाग जिले का छाेटा सा गांव कसियाडीह. इस गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां का एक भी मामला आज तक थाना नहीं पहुंचा. जब भी आपसी विवाद होता है, तो गांव में ही बैठक कर मामले को सुलझा लिया जाता है. इसके अलावा गांव की साफ-सफाई के लिए बाल संसद सफाई […]

हजारीबाग. हजारीबाग जिले का छाेटा सा गांव कसियाडीह. इस गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां का एक भी मामला आज तक थाना नहीं पहुंचा. जब भी आपसी विवाद होता है, तो गांव में ही बैठक कर मामले को सुलझा लिया जाता है. इसके अलावा गांव की साफ-सफाई के लिए बाल संसद सफाई प्रबंधन के रूप में कार्य करते हैं. ऐसा इसलिए संभव हो सका है कि गांव के विकास को लेकर प्रत्येक सप्ताह बैठक होती है. यह गांव चुरचू प्रखंड में आता है. चुरचू प्रखंड अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र है.

फिर भी यहां शिक्षा, स्वास्थ्य व सिंचाई के क्षेत्र में विकास की काफी संभावना है. कसियाडीह के लोगों ने स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई व कला संस्कृति के साथ-साथ जिस तरह से एकजुटता का परिचय देते हुए समाज में बेहतर काम किया है, वह पूरे जिला के लिए प्रेरणास्रोत है. कसियाडीह गांव के बाल संसद के बच्चे समाज के लिए एक मिसाल हैं. वर्ष 2006 में बाल संसद का गठन किया गया, जिसकी संख्या 60 है.

इनका दायित्व गांव को साफ-सुथरा रखना है. माह में एक बार पूरे गांव काे विभिन्न टोलों में बांट कर सफाई की जाती है, जिसकी देखरेख बाल संसद की स्वास्थ्य मंत्री उर्मिला हंसदा करती हैं. बाल संसद के बच्चों की जिम्मेदारी तब और बढ़ जाती है, जब गांव का कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाता है. ये बच्चे उस शख्स को इलाज के लिए गांव के ही स्वास्थ्य केंद्र में ले जाते हैं. अगर स्थिति गंभीर हो, तो गांव के सहयोग से उनका इलाज कराया जाता है. इसके अलावा कला संस्कृति को बरकरार रखने के लिए बाल सांसद द्वारा गांव में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. गांव में ही विज्ञान प्रदर्शनी व मेला का आयोजन किया जाता है.

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