रांची: उषा मार्टिन एवं केजीवीके के संयुक्त तत्वावधान में परती जमीन को सिंचित भूमि में बदलने के लिए विशेष अभियान चलाया गया. अभियान के तहत विभिन्न गांवों के उन टोलों को चिन्हित किया गया, जहां जमीन परती है और खेती–बारी नहीं होती है. साथ ही छह से अधिक गांवों के विभिन्न टोलों में 60 जलकूपों […]
रांची: उषा मार्टिन एवं केजीवीके के संयुक्त तत्वावधान में परती जमीन को सिंचित भूमि में बदलने के लिए विशेष अभियान चलाया गया. अभियान के तहत विभिन्न गांवों के उन टोलों को चिन्हित किया गया, जहां जमीन परती है और खेती–बारी नहीं होती है. साथ ही छह से अधिक गांवों के विभिन्न टोलों में 60 जलकूपों का निर्माण किया गया है. इन जलकूपों से न केवल सिंचित क्षेत्र का विस्तार हुआ है, बल्कि कई टोलों में पहली बार किसानों ने जायद फसल की खेती की.
परती क्षेत्रों में जलकूपों के निर्माण से 110 एकड़ से अधिक परती जमीन को सिंचित क्षेत्र में लाया गया है. उषा मार्टिन सीएसआर के हेड डॉ मयंक मुरारी ने बताया कि लाभुक का चुनाव ग्रामीणों के साथ बैठक, किसानों की माली स्थिति एवं परती जमीन की पहचान के आधार पर किया गया. केजीवीके के सहयोग से अभियान पिछले दो साल से चलाया जा रहा है.
इसके तहत टाटी पूर्वी पंचायत में चार, पेरतोतल में एक, हरातू में दस, सिलवाई में नौ, चतरा में 14, आरा में नौ, महिलौंग में दस, मासू में पांच जलकूपों का अभी तक निर्माण कराया जा चुका है. इसके अलावा अभी दो और जलकूपों का निर्माण जारी है. कार्यक्रम को केजीवीके के सचिव अरविंद सहाय के नेतृत्व में चलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का लक्ष्य सीमांत किसानों को खेतीबारी से जोड़ना है. जिन क्षेत्रों में जलकूपों का निर्माण किया गया, वहां जायद फसल के प्रशिक्षण के अलावा श्रीविधि से धान की रोपाई की जानकारी भी दी गयी. लोगों को जागरूक बनाने के लिए गांव स्तर पर प्रगतिशील किसानों की बैठक करायी गयी. इस कारण आरा पंचायत के नया टोली, हरातू के नीचे टोला, महिलौंग के बड़कुंभा, चतरा के पुराना चतरा इलाके में जायद फसल की खेती की गयी. परती जमीन के सिंंचित होने से इन गांवों के 70 किसानों ने पहली बार धान की खेती की.
जहां बंजर रहती थी जमीन, वहां होने लगी खेती
आरा नया टोली में खेती करने एवं धान की रोपनी को बढ़ावा देने के लिए नौ जलकूपों का निर्माण कराया गया है. लाभुक भक्तु टोप्पो का कहना है कि नया टोली में जमीन परती होने के कारण कभी खेती नहीं होती थी. जलकूपों के निर्माण से मैंने अकेले दो एकड़ में सब्जी की खेती की. इसमें टमाटर, तरबूज और खीरा को बेचकर 20 हजार रुपये की आमदनी की. अभी जमीन पर श्रीविधि से धान की रोपाई की है. अगले साल नियोजित तरीके से सब्जी की खेती करूंगा. मासू की रासो देवी सहिया हैं. सीएसआर के तहत उन्होंने गांव में खेतीबारी के प्रति लोगों को जागरूक बनाया है. इस बार उनका भी एक जलकूप नया बना है. इसके सहारे 20 डिसमिल में श्रीविधि से धान की रोपनी की है. इसके अलावा जलकूपों से अन्य किसानों को भी पानी देकर खेती में सहयोग कर रही हैं.