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ये हाल है. रिम्स के जनऔषधि केंद्र से लाैटाये जा रहे हैं लोग

रिम्स में जनऔषधि केंद्र खोलने का उद्देश्य था कि लोगों को सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाएं आसानी से उपलब्ध हो जायें. फिलहाल, इस केंद्र में मात्र 50 तरह की दवाएं ही बची हैं. दवाओं की किल्लत के कारण सबसे ज्यादा परेशानी गरीब तबके के मरीजों को हो रही है. दवाएं नहीं मिलने पर मजबूरी में […]

रिम्स में जनऔषधि केंद्र खोलने का उद्देश्य था कि लोगों को सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाएं आसानी से उपलब्ध हो जायें. फिलहाल, इस केंद्र में मात्र 50 तरह की दवाएं ही बची हैं. दवाओं की किल्लत के कारण सबसे ज्यादा परेशानी गरीब तबके के मरीजों को हो रही है. दवाएं नहीं मिलने पर मजबूरी में इन लोगों को बाजार की दवा दुकानों से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं.

दवाओं की किल्लत की मूल वजह स्टॉकिस्ट द्वारा दवाएं उपलब्ध नहीं कराया जाना है. जानकारी के अनुसार अब तक जनऔषधि केंद्र में दवाओं के लिए स्टॉकिस्ट तय नहीं हुआ है. इसलिए दवाओं की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. इधर, जनऔषधि केंद्र के इंचार्ज अमित कुमार ने बताया कि स्टॉकिस्ट के लिए जेपी सेल्स ने तीन सितंबर को आवेदन दिया है. आवदेन के आधार पर रिम्स प्रबंधन से अनुमति मांगी जायेगी. अनुमति मिलने के बाद दवाओं का मांगपत्र स्टॉकिस्ट को भेजा जायेगा.

राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने किया था निरीक्षण : केंद्रीय उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने 2 जुलाई को रिम्स के जनऔषधि केंद्र का निरीक्षण किया था. निरीक्षण में दवाओं की संख्या 133 थी. दवाओं की संख्या कम हाेने पर उन्होंने स्टॉकिस्ट को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने का आदेश दिया था. उन्होंने स्पष्ट कहा था कि हमारे पास 600 तरह की जेनेरिक दवाएं हैं. ऐसे में यहां दवाओं की संख्या बहुत कम क्यों है?

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