फिलहाल सभी बैंकों के एनपीए की राशि 45 सौ करोड़ से कुछ अधिक है. समिति की पिछली बैठकों में मुख्यमंत्री रघुवर दास लगातार हिस्सा ले रहे हैं. उनके साथ मुख्य सचिव, विकास आयुक्त और अन्य अधिकारी भी बैठक में रहते हैं. इसके अलावा केंद्र सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव मनदेश मिश्र भी लगातार बैठकों में शामिल हो रहे हैं.
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एसएलबीसी की बैठकों से गायब हैं कई मुद्दे
रांची: झारखंड राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दे नहीं उठ पाते हैं. समिति की बैठकों में जानबूझ कर कर्ज नहीं लौटाये जाने के मुद्दे पर कभी गंभीरता से बातचीत नहीं होती है. राज्य में व्यावसायिक, निजी व सहकारी बैंकों का कुल डिपॉजिट झारखंड में 1.65 करोड़ से अधिक है. बैंकों के […]
रांची: झारखंड राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दे नहीं उठ पाते हैं. समिति की बैठकों में जानबूझ कर कर्ज नहीं लौटाये जाने के मुद्दे पर कभी गंभीरता से बातचीत नहीं होती है. राज्य में व्यावसायिक, निजी व सहकारी बैंकों का कुल डिपॉजिट झारखंड में 1.65 करोड़ से अधिक है. बैंकों के कुल व्यवसाय में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, पर कर्ज देने की दर पिछले कुछ दिनों से कम हुई है. बैंकों का कहना है कि नन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
केंद्रीय योजनाओं को लागू करने पर अधिक जोर
बैठक में केंद्र प्रायोजित योजनाओं को शत-प्रतिशत लागू करने पर ही अधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है. महिला स्वयं सहायता समूहों को माइक्रो क्रेडिट (सूक्ष्म ऋण) की सुविधा देने पर भी जोर दिया जाता है. यहां यह बताते चलें कि झारखंड में 32 हजार से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों को विभिन्न बैंकों की तरफ से 608.21 करोड़ रुपये दिये गये हैं. इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक कर्ज जांच के दायरे में हैं, क्योंकि बैंक प्रबंधन समूहों से दी गयी राशि वसूलने में सफल नहीं हो पा रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि समूहों को कर्ज दिलाने में स्वयंसेवी संस्थानों की भूमिका रही है.
बैंकों के बड़े घोटाले नहीं उठ पाते हैं बैठकों में
राज्य के बैंकों के बड़े घोटाले बैठकों में नहीं उठ पाते हैं. रांची में ही फर्जी खाताधारकों के नाम पर यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, कारपोरेशन बैंक, इलाहाबाद बैंक, सेंट्रल बैंक व एक्सीस बैंक से 70 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया. इसमें चार्टर्ड एकाउंटेंट से लेकर बैंकों के अधिकारियों तक की संलिप्तता रही है. बैंक ऑफ इंडिया के अशोक नगर शाखा से ही फर्जी खातों के आधार पर दिये गये कर्ज के मामले में अधिकारी डीके सिन्हा, श्री एक्का सहित पांच शाखा प्रबंधकों की नौकरी गयी. इतना ही नहीं अब तक पूरे प्रकरण में शामिल चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म पर कार्रवाई नहीं की गयी.
राज्य भर में बैंकों की शाखाओं में नहीं लिये जा रहे हैं सिक्के
राज्य भर के बैंकों की शाखाओं में पांच, दस और छोटे सिक्के नहीं लिये जा रहे हैं. एसएलबीसी की बैठक में इस पर कभी चर्चा नहीं होती है. रिजर्व बैंक ने किसी भी बैंक की शाखाओं में सिक्का नहीं लिये जाने पर कभी मनाही नहीं की है. फिर भी गिनती नहीं करने के चक्कर में सिक्के ग्राहकों से नहीं लिये जाते हैं.
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