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निर्माण कार्यों की गड़बड़ी में उच्च स्तरीय जांच की अनुशंसा

रांची: विधानसभा की प्राक्कलन समिति ने गिरिडीह सदर अस्पताल जीर्णोद्धार सहित कुछ अन्य निर्माण कार्यों की उच्च स्तरीय जांच कराने की अनुशंसा की है. समिति ने अधिकारियों द्वारा अस्पष्ट रिपोर्ट दिये जाने की घटा पर अपनी नाराजगी का इजहार किया. साथ ही अधिकारियों की इस रवैये से समिति द्वारा विभिन्न मामलों की समीक्षा के परेशानी […]

रांची: विधानसभा की प्राक्कलन समिति ने गिरिडीह सदर अस्पताल जीर्णोद्धार सहित कुछ अन्य निर्माण कार्यों की उच्च स्तरीय जांच कराने की अनुशंसा की है. समिति ने अधिकारियों द्वारा अस्पष्ट रिपोर्ट दिये जाने की घटा पर अपनी नाराजगी का इजहार किया. साथ ही अधिकारियों की इस रवैये से समिति द्वारा विभिन्न मामलों की समीक्षा के परेशानी होने का उल्लेख किया है. विधानसभा प्राक्कलन समिति के सभापति निर्भय कुमार शाहाबादी ने विधानसभा में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.

इसमें कहा गया है कि गिरिडीह सदर अस्पताल के जीर्णोद्धार पर दो करोड़ रुपये खर्च किये गये थे. इस सिलसिले में समिति द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब में अधिकारियों ने सिर्फ खानापूर्ति की. इससे जीर्णोद्धार का मामले सरकारी राशि की बंदरबांट का मामला प्रतीत होता है. इसलिए इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करायी जाये.

पलामू में पुल-पुलिया ध्वस्त होने की भी हुई जांच
समिति की रिपोर्ट में पलामू जिले में करोड़ों रुपये की लागत से बने पुल-पुलिया के ध्वस्त होने के मामले में भी ठेकेदारों और अफसरों और इंजीनियरों के विरुद्ध कार्रवाई करने की अनुशंसा की गयी है. पुल-पुलिया ध्वस्त होने के मामले में समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह लिखा है कि इस मामले में ग्रामीण विकास विभाग ने पहले अस्पष्ट प्रतिवेदन दिया. इसके बाद समिति ने स्पष्ट प्रतिवेदन देने के लिए कई बार स्मार पत्र दिया, लेकिन विभाग ने कोई प्रतिवेदन नहीं दिया. इससे इस मामले में सभी की मिलीभगत प्रतीत होता है.
जरेडा का प्रतिवेदन असंतोषजनक
समिति ने ग्रामीण क्षेत्र में सोलर लाइट लगाने के मामले में जरेडा द्वारा दिये गये प्रतिवेदन को असंतोषजनक माना है. इस बात के मद्देनजर सोलर लाइट लगाने के मामलों की जांच कराने की अनुशंसा की है. समिति ने जमशेदपुर में ऊर्जा विभाग द्वारा निकाले गये टेंडर में हुई गड़बड़ी की चर्चा करते हुए कहा है कि इस मामले में सिर्फ छोटे अधिकारियों पर कार्रवाई की गयी है. चयन समिति में शामिल बड़े अधिकारियों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी है. इसलिए इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करायी जानी चाहिए.
सरकारी भवनों के रखरखाव पर करोड़ों के खर्च पर संदेह
समिति ने सरकारी भवनों के रखरखाव और मरम्मत के नाम पर हर साल किये जानेवाले करोड़ रुपये के खर्च पर संदेह व्यक्त किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भवन की लागत से ज्यादा मरम्मत के नाम पर खर्च किया जाता है. इसमें इंजीनियरों और ठेकेदारों कि मिलीभगत होती है.

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