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आज सदन में पेश होगा मेडिकल प्रोटेक्शन बिल

रांची : डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों या चिकित्सा से जुड़े लोगों के साथ होनेवाली हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार शुक्रवार को विधानसभा में विधेयक पेश करेगी. विधेयक का नाम चिकित्सा सेवा से संबद्ध व्यक्तियों, चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा एवं संपत्ति नुकसान निवारण) विधेयक 2017 है. विधानसभा से विधेयक के पारित होने के बाद […]

रांची : डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों या चिकित्सा से जुड़े लोगों के साथ होनेवाली हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार शुक्रवार को विधानसभा में विधेयक पेश करेगी. विधेयक का नाम चिकित्सा सेवा से संबद्ध व्यक्तियों, चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा एवं संपत्ति नुकसान निवारण) विधेयक 2017 है. विधानसभा से विधेयक के पारित होने के बाद इसे लागू किया जायेगा.

अधिनियम में चिकित्सा सेवा संस्थान के रूप में क्लिनिकल स्टैबलिसमेंट एक्ट 2010 के अधीन निबंधित चिकित्सा महाविद्यालयों व चिकित्सा से जुड़े निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, प्रसूति गृह आदि को परिभाषित किया गया है. चिकित्सा सेवा से जुड़े व्यक्तियों के रूप में निबंधित चिकित्सा प्रदाता, निबंधित नर्स, मेडिकल की छात्राएं, नर्सिंग स्टूडेंट्स और पारा मेडिकल स्टाफ को परिभाषित किया गया है. चिकित्सा संस्थान व चिकित्सा सेवा से जुड़े व्यक्तियों के विरुद्ध किया जाने वाला हिंसक अपराध गैर जमानती होगा. इस तरह के अपराध के मामलों में डीएसपी स्तर से नीचे के अधिकारी जांच नहीं कर सकेंगे.

अस्पतालों आदि की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में न्यायिक प्रक्रिया को पूरा करने के बाद बतौर दंड संबंधित व्यक्ति से दोगुनी राशि वसूली जायेगी. इसके अलावा हिंसक घटनाओं को अंजाम देने की स्थिति में तीन साल जेल व 50 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान किया गया है. अधिनियम में मरीजों की सुविधा के लिए भी प्रावधान तय किये गये हैं. इसके तहत डॉक्टर या अस्पताल को मरीज को इलाज से संबंधित पूरी सूचनाएं लिखित तौर पर देनी होगी. प्रत्येक अस्पताल, नर्सिंग होम अपने यहां उपलब्ध चिकित्सा सुविधा और उस पर होने वाले खर्च का पूरा ब्योरा प्रदर्शित करेंगे. मरीज को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के दौरान एमसीआइ द्वारा निर्धारित नैतिकता व नियम का पालन करना बाध्यकारी होगा. इमरजेंसी की स्थिति में मरीजों का प्राथमिक उपचार करने की बाध्यता होगी. मरीज की मृत्यु होने पर बिल की प्रतीक्षा में शव को नहीं रोका जा सकेगा. इन नियमों का उल्लंघन करने की स्थिति में राज्य सरकार अस्पतालों के निबंधन को निलंबित या रद्द कर सकेगी.

विधेयक में डॉक्टर या चिकित्सा सेवा से जुड़े लोगों के साथ हिंसा करने पर तीन साल के जेल का प्रावधान है. चिकित्सकों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में बतौर दंड दोगुनी राशि की वसूली जायेगी. साथ ही डॉक्टरों व चिकित्सा संस्थानों द्वारा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन करने पर उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा.

किशोर-किशोरी सशक्तीकरण पर मुखर हुए विधानसभा सदस्य
रांची. झारखंड विधानसभा परिसर में गुरुवार देर शाम किशोर-किशोरी सशक्तीकरण में विधानसभा सदस्यों की भूमिका पर चर्चा हुई. चाईल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट (सिन्नी) की ओर से आयोजित कार्यक्रम में एक दर्जन से अधिक विधानसभा सदस्यों ने हिस्सा लिया. भाजपा के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने बालक और बालिकाओं के उत्थान में स्वंयसेवी संस्थानों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से किशोरी बालिकाओं के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही हैं. राज्य सरकार की तरफ से अलग से विभागवार जेंडर बजटिंग की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है. उन्होंने कहा कि किशोर-किशोरियों को कौशल विकास के कार्यक्रमों से भी जोड़ने की आवश्यकता है. स्टीफन मरांडी ने कहा कि किशोरी सशक्तीकरण से संबंधित सभी योजनाओं की निगरानी होनी चाहिए. उन्होंने किशोर बालकों के लिए भी रोजगार परक योजना बनाने को कहा, ताकि बाल श्रम रोका जा सके. विधानसभा सदस्य मेनका सरदार ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं का लाभ सभी लाभुकों को मिलने से ही किशोर और किशोरी सशक्तीकरण को सफल कहा जा सकता है. गीता कोड़ा ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर निगरानी जरूरी है. विधानसभा सदस्य अरुप चटर्जी, नीरल पूर्ति, राजकुमार यादव, कुणाल षाडंगी, शिव पूजन सहाय, प्रकाश राम, रविंद्र नाथ महतो ने भी विचार रखे.

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