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शव ढोने के लिए वाहन नहीं है, कोई नियम भी नहीं बना
रांची: स्वास्थ्य विभाग ने समय-समय पर कुल 3139 एंबुलेंस व हेल्थ यूनिट संचालित किया है. इनमें वर्ष 2004 से 2006 के बीच खरीदे व बांटे गये कुल 602 एंबुलेंस, राज्य भर में चल रहे 2438 ममता वाहन तथा 99 मोबाइल मेडिकल यूनिट शामिल हैं. पर ये सभी मरीजों या गर्भवती को अस्पताल तथा वापस घर […]
रांची: स्वास्थ्य विभाग ने समय-समय पर कुल 3139 एंबुलेंस व हेल्थ यूनिट संचालित किया है. इनमें वर्ष 2004 से 2006 के बीच खरीदे व बांटे गये कुल 602 एंबुलेंस, राज्य भर में चल रहे 2438 ममता वाहन तथा 99 मोबाइल मेडिकल यूनिट शामिल हैं. पर ये सभी मरीजों या गर्भवती को अस्पताल तथा वापस घर पहुंचाने के लिए हैं. स्वास्थ्य विभाग के एक वरीय अधिकारी के अनुसार एंबुलेंस का इस्तेमाल शव ढोने के लिए करने का प्रोटोकॉल नहीं है. मानवता की दृष्टि से ही एेसा किया जा सकता है.
गौरतलब है कि एनआरएचएम से खरीदे गये कुल 602 में से 240 एंबुलेंस सरकारी अस्पतालों को तथा 239 एंबुलेंस गैर सरकारी संस्थाअों को उपलब्ध कराये गये थे. राज्य भर के सरकारी अस्पतालों जैसे पीएचसी, रेफरल व सब डिविजनल अस्पतालों को दिये गये. पर ये सभी मरीजों के लिए हैं. उधर गरीब मरीजों को सस्ती दर पर एंबुलेंस उपलब्ध कराने तथा सड़क दुर्घटना सहित अन्य आपातकाल में इस्तेमाल के लिए ही एनजीओ को बांटे गये 239 वाहनों का क्या इस्तेमाल हो रहा है, यह विभाग को भी पता नहीं है. उक्त अधिकारी ने यह सवाल भी उठाया कि विभिन्न अस्पतालों में हर रोज कई लोग मरते हैं. यह संभव ही नहीं है कि इन सभी शव को ढोने के लिए वाहन उपलब्ध कराये. नजदीक के किसी गरीब के अाग्रह करने पर मानवता की दृष्टि से ही एेसा किया जा सकता है. पर यह भी वाहन या एंबुलेंस की उपलब्धता पर निर्भर करता है.
अभी चलने हैं 329 एंबुलेंस (डायल 108) : राज्य सरकार ने डायल-108 के नाम से 329 एंबुलेंस के संचालन का निर्णय लिया है. सड़क दुर्घटना सहित अन्य अापात स्थिति में इनका इस्तेमाल होगा. वर्ष 2015-16 के अंत में ही कम से कम 50 एंबुलेंस की सेवा बहाल करने का लक्ष्य था. पर अभी कोई एंबुलेंस संचालित नहीं हो सका है.
शव ढोने के लिए अभी कोई वाहन नहीं है. पर सरकार शव वाहन चलाना चाहती है. इसकी योजना पाइपलाइन में है. पीपीपी मोड में इनका संचालन हो सकता है.
डॉ सुमंत मिश्रा, निदेशक प्रमुख
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