रांची: झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के तेजी से निर्माण को लेकर स्वत: संज्ञान से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए अगस्त माह का लक्ष्य तय कर जानकारी नहीं देने पर संवेदक कंपनी मधुकॉन की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जतायी.
संवेदक कंपनी के प्रबंध निदेशक, एनएचएआइ के अध्यक्ष या निदेशक प्रोजेक्ट को अगली सुनवाई के दाैरान दस्तावेजों के साथ सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया. संवेदक को कार्य की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. नाराज खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि संवेदक कोर्ट के निर्देशों को हल्के में नहीं ले. बार-बार निर्देश देने के बावजूद स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है. कहा कि फोरलेन का कार्य पूरा करने के लिए संवेदक बार-बार तिथि बदल रहा है. पहले दिसंबर 2017 में कार्य पूरा करने की बात कही गयी. फिर कहा गया कि मई 2018 में कार्य पूरा हो जायेगा. अब कहा जा रहा है कि जून 2019 में फोरलेन कार्य पूरा हो पायेगा. कार्य पूरा करने के लिए कैसे तिथि बदली जा रही है. एनएचआइ क्या कर रहा है. उसने इस एजेंसी को कार्य क्यों दिया. इस पर नेशनल हाइवे अॉथोरिटी अॉफ इंडिया (एनएचएआइ) की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि टेंडर में एल-वन होने के बाद संवेदक को कार्य आवंटित किया गया. एनएच फोरलेन कार्य का प्रोजेक्ट 1,652 करोड़ का है.
संवेदक ने 80 प्रतिशत राशि खर्च करने के बाद मात्र 44 प्रतिशत ही कार्य पूरा किया है. इस पर खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि यह सबको पता है कि काम कैसे मिलता है. इससे पूर्व संवेदक कंपनी की ओर से बताया गया कि 128 किलोमीटर के निर्माण में कोई समस्या नहीं है. संवेदक ने मैन पावर, प्लांट, मशीनरीज व वित्तीय संसाधनों से संबंधित स्पष्ट जानकारी नहीं दी. उल्लेखनीय है कि रांची-जमशेदपुर एनएच की दयनीय स्थिति को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. कोर्ट के बार-बार निर्देश देने के बाद भी कार्य में तेजी नहीं आ पा रही है.
झारखंड हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा सीबीआइ जांच पर क्या निर्णय लिया गया
रांची: झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को अनुदान की राशि से अपोलो अस्पताल बनाने व बुनकरों को उसका लाभ नहीं मिलने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि राज्य सरकार ने मामले की सीबीआइ से जांच कराने की अनुशंसा भेजी थी, उस पर क्या निर्णय लिया गया है. केंद्र के जवाब को असंतोषजनक पाते हुए शपथ पत्र के माध्यम से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. साथ ही मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. इससे पूर्व केंद्र सरकार की अोर से खंडपीठ को बताया गया कि सीबीआइ जांच पर निर्णय नहीं हो पाया है. यह मामला भारत सरकार के पास लंबित है. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने मामले की सीबीआइ से जांच कराने की अनुशंसा की है, लेकिन जांच शुरू नहीं की गयी है. उल्लेखनीय है कि बानापीड़ी बुनकर सहयोग समिति की अोर से जनहित याचिका दायर कर अनुदान राशि की गड़बड़ी की सीबीआइ से जांच की मांग की गयी है.
उपायुक्त के पास सीसीएल को आवेदन देने का निर्देश
रांची. हाइकोर्ट में बुधवार को चतरा के टंडवा क्षेत्र में कोल ब्लास्टिंग से मकानों को हो रहे नुकसान काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सीसीएल को उपायुक्त के पास लिखित रूप से आवेदन देने का निर्देश दिया. साथ ही सीसीएल के आवेदन पर उपायुक्त को तीन सप्ताह के अंदर कार्रवाई तथा कार्रवाई से संबंधित अद्यतन जानकारी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. इससे पूर्व खंडपीठ को बताया गया कि मुआवजे के लिए 60 करोड़ रुपये उपलब्ध है. कई क्षतिग्रस्त मकानों का मरम्मत किया गया है. कई लोग गैरमजरूआ जमीन पर रह रहे है. वहां जमीन का विवाद है. सीसीएल के जवाब को देखते हुए खंडपीठ ने उपायुक्त के समक्ष अभ्यावेदन देने का निर्देश दिया.
निचली अदालत की कार्रवाई पर हाइकोर्ट ने रोक लगायी
रांची. हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रार्थी के खिलाफ निचली अदालत में चल रहे आपराधिक मानहानि की कार्रवाई पर रोक लगा दी. अदालत ने प्रतिवादी प्रोफेसर सदासर बेरा को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. कहा कि क्यों नहीं याचिका को स्वीकार कर लिया जाये. अदालत ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने अदालत को बताया कि दुर्व्यवहार मामले में पुलिस ने जांच कर चार्जशीट दाखिल कर दी है. पुलिस ने केस को झूठा करार दिया है. इस पर प्रतिवादी ने आपराधिक मानहानि का केस किया है. अधिवक्ता श्री सिकरवार ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि आइआइएम रांची की प्रोफेसर ने सहायक प्राध्यापक सदासर बेरा पर दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया था.
जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश
रांची. हाइकोर्ट ने बुधवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को फरजी नक्सली सरेंडर मामले की पुलिस द्वारा की जा रही जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. साथ ही मामले में चल रहे ट्रायल की अद्यतन जानकारी देने को कहा. राज्य सरकार को उक्त निर्देश देते हुए कोर्ट ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह के बाद होगी. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने खंडपीठ को बताया कि सरकार मामले में जांच के नाम पर खानापूर्ति कर रही है. 513 युवक-युवतियों को नक्सली बता कर फरजी तरीके से सरेंडर कराया गया. यदि इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों ने सरेंडर किया है, तो उनके हथियार कहां है. उन्हें रांची में रखा गया. दिग्दर्शन कोचिंग संस्थान में ट्रेनिंग दी गयी. आनेवाला खर्च पुलिस अधिकारियों ने वहन किया है. पुलिस में बहाली के नाम पर दो से ढ़ाई लाख रुपये की वसूली की गयी. इस पूरे प्रकरण में झारखंड पुलिस के वरीय अधिकारियों की संलिप्तता है. पूर्व में सरकार ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने का निर्णय लिया था. बाद में उसे यह कहते हुए वापस ले लिया गया कि पुलिस की जांच पर उसे भरोसा है. जांच सही दिशा में चल रही है. उन्होंने सीबीआइ से मामले की जांच कराने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि झारखंड काउंसिल फॉर डेमोक्रेटिक की अोर से जनहित याचिका दायर कर मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की गयी है.
राज्य सरकार के बार-बार समय मांगने पर हाइकोर्ट ने जतायी नाराजगी
रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को रांची, जमशेदपुर, धनबाद व बोकारो में मेडिकल कचरे के उचित निष्पादन काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार द्वारा जवाब देने के लिए बार-बार समय मांगने पर नाराजगी जतायी. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा कि जवाब दाखिल करने के बदले समय मांगा जाता है. जनहित याचिका की सुनवाई में बेवजह कोर्ट का समय बरबाद होता है. कोर्ट अधिक समय नहीं दे सकती है. मामले में की गयी अद्यतन स्थिति की जानकारी देने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने सरकार के समय देने के आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए छह सितंबर की तिथि निर्धारित की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड ह्यूमन राइट्स कांफ्रेंस की अोर से जनहित याचिका दायर कर रांची, जमशेदपुर, धनबाद व बोकारो में मेडिकल कचरे के वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन की मांग की गयी है.