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मजदूरों को ढो रही धनबाद से जानेवाली एलेप्पी

नेशनल कंटेंट सेल सबसे ज्यादा यात्रियों को ढोनेवाली ट्रेनों को लेकर हाल ही में आये एक शोध व आंकड़े ने बिहार व झारखंड से बड़ी संख्या में श्रमिकों के देश के दूसरे इलाकों में जाने की कहानी बयां की है. देश के जो सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाली जो दस ट्रेनें हैं, उनमें से आठ बिहार […]

नेशनल कंटेंट सेल
सबसे ज्यादा यात्रियों को ढोनेवाली ट्रेनों को लेकर हाल ही में आये एक शोध व आंकड़े ने बिहार व झारखंड से बड़ी संख्या में श्रमिकों के देश के दूसरे इलाकों में जाने की कहानी बयां की है. देश के जो सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाली जो दस ट्रेनें हैं, उनमें से आठ बिहार या झारखंड से होकर गुजरती हैं. अंगरेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाली ट्रेनें यह बता रही हैं कि वह किस तरह की श्रमशक्ति को किस इलाके में ले जा रही है.
वर्ष 2013 में यूनेस्को ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में लोग बिहार से दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जाते हैं. इसी तरह यूपी से महाराष्ट्र, ओडिशा से गुजरात और आंध्र प्रदेश और राजस्थान से गुजरात जाते हैं. बिहार के दरभंगा से खुलने वाली संपर्क क्रांति इसी श्रेणी की नंबर एक रेलगाड़ी है. वर्ष 2016-17 इस ट्रेन से 622867 यात्रियों ने सफर किया, वहीं इसमें 205192 वेटिंग लिस्ट भी रही. धनबाद से एलेप्पी (केरल) जाने वाली ट्रेन में पांच लाख से ज्यादा लोग चढ़े. इसमें भी वेटिंग लिस्ट 1.5 लाख से अधिक थी. इससे यह पता चलता है कि रोजगार की तलाश में जाने वालों का सिलसिला निकट भविष्य में घटने वाला नहीं है.
दक्षिण के शहरों का रुख कर रहे हैं झारखंड के कामगार
झारखंड अौर बिहार से रोजगार की तलाश में पलायन करने वाले लोगों की बड़ी तादाद कुछ समय पहले तक दिल्ली, पंजाब अौर हरियाणा जाती थी, पर अब परिदृश्य बदल गया है. अब लोग केरल व कर्नाटक के बेंगलुरू जैसे क्षेत्रों में रोजगार के लिए जा रहे हैं. दक्षिण के शहरों में जाने के लिए धनबाद-एर्नाकुलम ट्रेन अब हमेशा भरी दिखती है. एटसेक झारखंड के समन्वयक संजय मिश्रा कहते हैं यह वाकई चौंकाने वाली बात है. बेंगलुरू, मेंगलुरू अौर गोवा में झारखंड की लड़कियां बड़ी संख्या में घरेलू कामगार के रूप में जा रही हैं. गोवा में वे रेस्टोरेंट अौर मसाज पार्लरों में काम कर रही हैं, जहां उन्हें अच्छे पैसे मिल रहे हैं. बेंगलुरू, मेंगलुरू में डोमेस्टिक वर्कर के रूप में काम करती हैं. इन दोनों शहरों में हिंदी भाषी लोग बड़ी संख्या में रह रहे हैं अौर वे कामगारों के रूप में अपने क्षेत्र की लड़कियों को प्राथमिकता दे रहे हैं.
दक्षिण भारत में काम करने के लिए है अच्छा माहौल
अभी हाल ही में झारखंड के सातो सिंह एक कार्यक्रम के सिलसिले में केरल गये थे. उन्होंने कहा कि केरल में अौर आसपास के क्षेत्रों में झारखंड के युवा काम कर रहे हैं. दुकानों में सेल्समैन के रूप में तथा ट्रांसपोर्ट के काम में यहां के लोग लगे हैं. उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत में काम को लेकर माहौल काफी अच्छा है. दुकान में काम करने वाले सेल्समैन भी दस-बारह हजार रुपये महीने कमा ले रहे हैं. इसके अलावा रहने अौर खाने की सुविधा मिल रही है. इससे वे पैसे भी बचा पाते हैं. ट्रांसपोर्ट के काम में भी झारखंड-बिहार की अपेक्षा कम परेशानी है. यहां यूनियन के द्वारा तय रेट पर ही काम होता है. मनमानी नहीं है. यही वजह है कि अब झारखंड से रोजगार की तलाश में लोग दक्षिण की अोर जा रहे हैं.
सर्वाधिक भीड़ भाड़ वाली ट्रेनें
(2016-17)
ट्रेन रूट यात्री
12565: संपर्क क्रांति दरभंगा-दिल्ली 622867
12566: संपर्क क्रांति दिल्ली-दरभंगा 631470
12553: वैशाली एक्स बरौनी-दिल्ली 556316
12859: गीतांजलि एक्स मुंबई-कोलकाता 854144
12558 : सप्तक्रांति एक्स दिल्ली-मुंबई 574372
12557: सप्तक्रांति एक्स मुंबई-दिल्ली 560046
12863: हावड़ा यशवंतपुर कोलकाता-बेंगलुरु 740545
15708: अमृत कटिहार अमृतसर-कटिहार 519579
13351: धनबाद अल्पुजा धनबाद-अल्पुजा 534872
12533 :पुष्पक एक्स लखनऊ- मुंबई 609878

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