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एनएच पर हाइकोर्ट का रुख सख्त, निर्माण कार्य कर रही कंपनी से पूछा, कहां तक बना, कब पूरा होगा फोरलेन का काम
रांची: झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) के तेजी से निर्माण को लेकर स्वत: संज्ञान से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने एनएच का निर्माण कर रही संवेदक कंपनी से माैखिक रूप में पूछा कि एनएच कहां तक बन गया है, […]
रांची: झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) के तेजी से निर्माण को लेकर स्वत: संज्ञान से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने एनएच का निर्माण कर रही संवेदक कंपनी से माैखिक रूप में पूछा कि एनएच कहां तक बन गया है, कहां नहीं बन पाया है आैर कब तक फोर लेनिंग का कार्य पूरा हो जायेगा, इसे बार चार्ट के माध्यम से बताएं.
खंडपीठ ने अपने रुख को कड़ा करते हुए संवेदक कंपनी को शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. यह भी कहा गया कि एनएच का सतह प्लेन होना चाहिए, ताकि वाहन ठीक से चल सकें. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 24 जुलाई की तिथि निर्धारित की. इससे पहले संवेदक कंपनी मधुकॉन की अोर से जवाब दाखिल करने के लिए समय देने का आग्रह किया गया. कंपनी की ओर से कहा गया कि जवाब तैयार हो गया है, लेकिन दाखिल नहीं किया जा सका है. उन्होंने दो दिन का समय देने का आग्रह किया.
स्पष्ट किया जाना चाहिए कि कब तक पूरा होगा कार्य : सुनवाई के दौरान नेशनल हाइवे अॉथोरिटी अॉफ इंडिया (एनएचएआइ) की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने खंडपीठ से आग्रह किया कि एनएच का फोर लेनिंग कार्य कब तक पूरा हो जायेगा, इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए. संवेदक ने वर्ष 2016 में कहा था कि दिसंबर 2017 तक कार्य पूरा कर लिया जायेगा. अब कहा जा रहा है कि मई 2018 में कार्य पूरा हो पायेगा. आखिर फोर लेनिंग कार्य तक पूरा होगा, इसे संवेदक को स्पष्ट करना चाहिए.
स्वत: संज्ञान के तहत हाइकोर्ट ने दर्ज की थी जनहित याचिका : उल्लेखनीय है कि रांची-जमशेदपुर एनएच की दयनीय स्थिति को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. पूर्व में कोर्ट ने संवेदक कंपनी को सड़क का मरम्मत करने का निर्देश दिया था. संवेदक की अोर से 30 अप्रैल तक एनएच का मरम्मत पूरा कर लेने संबंधी अंडरटेकिंग दी गयी थी. कोर्ट ने मरम्मत कार्य के भाैतिक सत्यापन के लिए दो प्लीडर कमिश्नर नियुक्ति किया था. कोर्ट के बार-बार निर्देश देने के बाद भी कार्य में तेजी नहीं आ पा रही है.
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