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रिम्स व सदर अस्पताल फायर सिलिंडर के भरोसे, नहीं संभलेगी बड़ी अगलगी
रांची के अस्पतालों में फायर फाइटिंग के नाम पर हो रही खानापूर्ति लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमसी) के ट्रामा सेंटर में आग लगने से आठ लोगाें की मौत हो गयी है. कहा जा रहा है कि ट्रामा सेंटर में आग से निबटने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं था. प्रभात खबर संवाददाता ने […]
रांची के अस्पतालों में फायर फाइटिंग के नाम पर हो रही खानापूर्ति
लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमसी) के ट्रामा सेंटर में आग लगने से आठ लोगाें की मौत हो गयी है. कहा जा रहा है कि ट्रामा सेंटर में आग से निबटने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं था. प्रभात खबर संवाददाता ने रविवार को जब राजधानी के अस्पतालों में फायर फाइटिंग सिस्टम का जायजा लिया, तो पता चला कि पांच अस्पतालों को छोड़ कर अन्य किसी अस्पताल के पास फायर फाइटिंग का एनओसी नहीं है. इन अस्पतालों में फायर फाइटिंग के नाम खानापूर्ति के लिए कुछ फायर सिलिंडर की व्यवस्था भर की गयी है.
रांची : राजधानी रांची में कई ऐसे सरकारी और निजी अस्पताल हैं, जिन्हें फायर फाइटिंग का एनओसी प्राप्त नहीं है. इनमें राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स और रांची का सदर अस्पताल भी शामिल है. इन दोनों अस्पतालों में मानक के अनुरूप फायर फाइटिंग की व्यवस्था नहीं होने के कारण अग्निशमन विभाग ने एनओसी जारी नहीं किया है.
उधर, शहर में कई ऐसे निजी अस्पताल हैं, जिनका ओपीडी बेसमेंट में चलता है. इनमें अगर अगलगी की घटना हुई, तो मरीज, उनके परिजनों, डॉक्टरों और अस्पताल के स्टाफ का बचना मुश्किल हो जायेगा. स्टेट फायर ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार राजधानी में एनओसी लेनेवाले अस्पतालों में कश्यप मेमोरियल अाई हॉस्पिटल, रामप्यारी आर्थो हॉस्पिटल, राज अस्पताल, सेंटेवीटा अस्पताल एवं आॅर्किड मेडिकल सेंटर शामिल हैं.
जायजा लेने निकले रिम्स निदेशक : रिम्स को फायर फाइटिंग का एनअोसी हासिल नहीं है. अस्पताल परिसर में 436 फायर सिलिंडर हैं, जिसके भरोसे अस्पताल में आगजनी से बचने का दावा किया जा रहा है. अस्पताल परिसर में घूमने के बाद पता चला कि अस्पताल के महत्वपूर्ण विंग में दो से तीन सिलिंडर ही लगे हैं, जो मरीजों के भीड़ के हिसाब से पर्याप्त नहीं हैं. हालांकि, लखनऊ के केजीएमसी में अागजनी की घटना के बाद रविवार को रिम्स निदेशक डॉ बीएल शेरवाल अस्पताल का भ्रमण किया. इमरजेंसी, ट्रामा सेंटर, मेडिसिन आइसीयू में लगे फायर सिलिंडर काे देखा. देखने पर पता चला कि सिलिंडर की वैधता जनवरी 2018 तक है.
कंसल्टेंट नियुक्त करेगा रिम्स प्रबंधन
रिम्स में फायर फाइटिंग की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए कंसल्टेंट बहाल किया जायेगा. संभावना जतायी जा रही है कि कस्लटेंट को ही अस्पताल में फायर फाइटिंग का जिम्मा भी दिया जा सकता है. सूत्र बताते हैं कि रिम्स प्रबंधन ने फायर फाइटिंग के लिए अग्निशमन विभाग से सुझाव मांगा था, पर सुझाव देने के बजाय विभाग के अधिकारी कमियां गिना कर चलते बने.
फायर फाइटिंग के लिए अग्निशमन विभाग से सुझाव लिया गया है. परामर्शदाता के चयन के लिए निविदा आमंत्रित की गयी है. उम्मीद है कि दो माह में हम फायर फाइटिंग में पूर्ण सक्षम हो जाये. हालांकि, अागजनी की घटना नहीं होने का दावा नहीं किया जा सकता है.
डॉ बीएल शेरवाल, निदेशक रिम्स
राजधानी के पांच अस्पतालों को एनओसी दिया गया है. अन्य अस्पताल बिना एनओसी के संचालित हो रहे हैं. कई अस्पताल व नर्सिंग होम मानकों को पूरा नहीं करते हैं, लेकिन हम कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. हम इस मामले केवल सरकार को रिपोर्ट भेज सकते हैं.
आरके ठाकुर, स्टेट फायर ऑफिसर
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