हालांकि विकलांगता अधिनियम 1995 की धारा-47 में यह प्रावधान है कि शारीरिक रूप से विकलांग कर्मियों को प्रोन्नति या अन्य लाभ से नहीं रोका जा सकता है. इसलिए कर्तव्य के दौरान उग्रवादी हिंसा, अापराधिक घटनाओं या अन्य विधि-व्यवस्था ड्यूटी के दौरान शारीरिक रूप से लाचार हुए कर्मियों को प्रशिक्षण या परीक्षा में छूट देने की जरूरत महसूस की गयी है. आदेश के मुताबिक किसी पुलिसकर्मी को विकलांग का दर्जा तभी मिलेगा, जब घटना की प्राथमिकी थाना में दर्ज होगी. आवेदन के साथ प्राथमिकी व स्टेशन डायरी की प्रति देनी होगी. संबंधित जिला या इकाई के एसपी या कमांडेंट के पास आवेदन जमा किया जायेगा.
अगर प्राथमिकी या स्टेशन डायरी उपलब्ध नहीं है, तो इसका कारण स्पष्ट करना होगा. प्रशिक्षण में छूट से पहले प्रशिक्षण संस्थान के प्रभारी अपने जिला के सिविल सर्जन से यह जांच करायेंगे कि संबंधित पुलिसकर्मी शारीरिक रूप से लाचार रहने के कारण प्रशिक्षण व परीक्षा में भाग लेने के लिए पूर्ण या आंशिक रूप से अक्षम है. इसके बाद ही विभागीय प्रशिक्षण व परीक्षा में छूट का निर्णय लिया जायेगा. यह आदेश सिर्फ आउटडोर विषयों पर लागू होगा. इनडोर विषयों में विकलांगता के आधार पर छूट नहीं दी जायेगी. इनडोर विषयों की परीक्षा में जरूरत पड़ने पर सहायक की प्रतिनियुक्ति की जा सकती है.