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एक-दूसरे के बिना अधूरे होते हैं जुड़वां बच्चे…. पढि़ए ऐसे कुछ जुड़वां बच्‍चों पर यह रिपोर्ट

मदर नेचर की बेहतरीन कृतियों में एक, होते हैं निराले मदर नेचर ने हमें कई ऐसी नेमतें बरती हैं, जिसे देख कर हम आश्चर्च चकित हो जाते हैं. मदर नेचर की ऐसी ही बेहतरीन कृतियों में एक होते हैं जुड़वां बच्चे. ये बच्चे निराले होते हैं. एक-दूसरे के बिना अधूरे. जहां भी एेसे बच्चे जन्म […]

मदर नेचर की बेहतरीन कृतियों में एक, होते हैं निराले
मदर नेचर ने हमें कई ऐसी नेमतें बरती हैं, जिसे देख कर हम आश्चर्च चकित हो जाते हैं. मदर नेचर की ऐसी ही बेहतरीन कृतियों में एक होते हैं जुड़वां बच्चे. ये बच्चे निराले होते हैं. एक-दूसरे के बिना अधूरे. जहां भी एेसे बच्चे जन्म लेते हैं, कौतुहल का विषय बन जाते हैं. ऐसे ही बच्चों को केंद्रित कर तीन जुलाई को ट्विन्स डे मनाया जाता है. पेश है कुछ ट्विन्स की कहानी.
एक को तीखा, तो दूसरे को मीठा पसंद
अमरावती कॉलोनी के रहने वाले बबलू व गुड़िया ठाकुर के जुड़वां बच्चे अनुराग व आराधना (तीन वर्षीय) का स्वभाव अलग है. इनकी हरकतें भी एक-दूसरे से विपरीत हैं. किसी को तीखा पसंद है, तो कोई मीठा खाने में माहिर. मम्मी गुड़िया बताती हैं कि दोनों में अनुराग बड़ा है. आराधना एक मिनट छाेटी है. आप अक्सर सुनते होंगे कि जुड़वां बच्चों की सोच-आदतें समान होती हैं, लेकिन इन दोनों में एक पूरब है, तो दूसरा पश्चिम. तीखा खाना पसंद करने वाली आराधना पापा कि दुलारी है, तो मीठाखाने वाले अनुराग को दादी.
रहते हैं साथ, लेकिन हरकतें विपरीत
कई मायने में तीन साल की उम्र के भाई-बहन की ये जोड़ी कभी आपको एक समान लगेगी, तो कभी उनकी आदतें आश्चर्य में डालती हैं. इनकी मां शांति बताती हैं कि उम्र छोटी है, पर दिनचर्या मजेदार है. प्रकृति ने इन्हें कुछ इस तरह से गढ़ा है कि ये साेते भी साथ हैं और जगते भी साथ हैं. इनके सेहत की बात करें, तो ये बीमार भी साथ ही होते हैं. इनके पिता नहीं हैं. इनके जन्म से पहले ही उनकी मृत्यु हो गयी थी. परवरिश की बात करें तो दोनों ही मां को सबसे करीब पाते हैं. प्रियंका रंग में गोरी है, तो प्रियांशु सांवला. बेटी शांत है, तो बेटा खूब शैतान.
दो जिस्म एक जान
दोनों बच्चियों की उम्र अाठ साल है. रंग-रूप से भी एक जैसी दिखती हैं. इनके घर वाले बताते हैं कि एक नजर में आप उन्हें पहचान नहीं पायेंगे. मां सोनी गुप्ता कहती हैं कि बहनों की जोड़ी कभी अलग नहीं रहती है. एक-दूसरे के बिना उनका न तो दिन होता है आैर न ही रात होती है. खाते-पीते भी साथ हैं. एक बीमार पड़े तो दूसरी बहन का बीमार होना तय है. सोनी बताती हैं कि आस्था जन्म के समय काफी कमजोर थी, इसे दुआ-प्रार्थना और इलाज के बाद बचाया जा सका.
रिपोर्ट : प्रिया गुप्ता, इंटर्न

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