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डीएमएफ में झारखंड को मिले 1,056 करोड़ रुपये

झारखंड की प्रगति अब तक सबसे ठीक : सीएसइ दिल्ली से लौटकर मनोज सिंहरांची : डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फाउंडेशन (डीएमएफ) के तहत राज्यों को करीब छह हजार करोड़ रुपये मिले हैं. कई राज्यों ने इसको खर्च करना शुरू कर दिया है. वहीं कुछ राज्य खर्च को लेकर नीति बनाने में लगे हैं. कई राज्यों ने जो […]

झारखंड की प्रगति अब तक सबसे ठीक : सीएसइ

दिल्ली से लौटकर मनोज सिंह
रांची : डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फाउंडेशन (डीएमएफ) के तहत राज्यों को करीब छह हजार करोड़ रुपये मिले हैं. कई राज्यों ने इसको खर्च करना शुरू कर दिया है. वहीं कुछ राज्य खर्च को लेकर नीति बनाने में लगे हैं. कई राज्यों ने जो नीतियां बनायी है, उसमें केंद्र सरकार को निर्देशों और एक्ट का उल्लंघन हो रहा है.

झारखंड को डीएमएफ में अब तक 1,056 करोड़ रुपये मिले हैं. इसको खर्च करने की योजना बन चुकी है. झारखंड में इस राशि को खर्च करने को लेकर जो नीतियां बन रही है, वह अन्य राज्यों से ठीक है. इसके बावजूद यह सबसे बेहतर नहीं है. दिल्ली स्थित संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसइ) ने डीएमएफ को लेकर पहली रिपोर्ट जारी की. दिल्ली स्थित सीएसइ कार्यालय में जारी रिपोर्ट में बताया गया कि कई राज्य उस एक्ट में तय प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिसके तहत फाउंडेशन का गठन किया गया है.

सीएसइ के डिप्टी डायरेक्टर जनरल चंद्रभूषण ने जानकारी दी कि इस राशि से कई जिलों की तसवीर बदल सकती है. यह केंद्र सरकार से ट्राइबल सब प्लान के तहत मिलने वाली राशि से करीब चार गुणी अधिक है. सिंगरौली(छत्तीसगढ़) जैसे जिले में यह राशि हर साल 600 करोड़ से अधिक होगी. संस्था ने झारखंड की दो जिलों में डीएमएफ से मिली राशि को खर्च करने के लिए तैयार की गयी योजनाओं का अध्ययन कराया है. इसमें पाया गया कि धनबाद को मिले 285 करोड़ रुपये में से 250 करोड़ की योजना तैयार कर ली गयी है. इसमें अाधारभूत संरचना के निर्माण 11.7 फीसदी राशि खर्च करने की योजना है. वहीं शिक्षा पर 5.3, स्वास्थ्य पर 2.6, स्वच्छता पर पांच, पेयजल पर 62.5 फीसदी राशि खर्च होगी. चाईबासा में भी सबसे अधिक 60.7 फीसदी राशि खर्च करने की योजना बनी है. वहां इको पार्क, फुटबॉल ग्राउंड, आर्चरी अकादमी पर 25.7 फीसदी खर्च करने की योजना बन गयी है.
कहां-कहां हो सकती है राशि खर्च

माइंस एंड मिनरल्स एक्ट में संशोधन के बाद डीएमएफ का गठन किया गया है. इसमें स्पष्ट उल्लेख है कि इससे मिलने वाली राशि को जिला प्रशासन कैसे खर्च कर सकता है. इसमें प्रावधान है कि राशि स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने, स्वास्थ्य सुविधा दुरुस्त करने, स्वास्थ्य इंश्योरेंस, शिक्षा व वोकेशनल शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट, महिला और बच्चों के कल्याण तथा बुजुर्ग व नि:शक्तों के कल्याण पर खर्च की जा सकती है. इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि पैसे को आधारभूत संरचना के निर्माण पर खर्च नहीं किया जा सकता है. एक्ट में राशि कहां नहीं खर्च करनी है. इसका भी स्पष्ट रूप से जिक्र किया गया है.
झारखंड में सभी जिले निबंधित

झारखंड सरकार ने राज्य के सभी जिलों के डीएफएम को निबंधित करा दिया है. ऐसा करना वाला यह देश का पहला राज्य है. चंद्रभूषण ने बताया कि कई राज्यों को यह पता नहीं है कि डीएमएफ किस एक्ट से निबंधित होगा. यह निबंधित नहीं होगा, तो खर्च करनेवालों की कानूनी जिम्मेदारी नहीं हो पायेगी. इससे खर्च पर अनियमित नियंत्रण को नहीं रोका जा सकेगा.

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