चितरपुर (रामगढ़) : कोरोना वायरस के कारण देश में लगे लॉकडाउन ने लोगों के सामने रोजी- रोटी का संकट खड़ा कर दिया है. महानगरों से लेकर गांवों तक इसका असर दिख रहा है. आभूषण कारीगर जो कभी सोने- चांदी को चमकाते थे, अब सब्जी बेचने को मजबूर हैं. चितरपुर प्रखंड के सुकरीगढ़ा पंचायत के करीब 1000 कारीगर आज काम के अभाव में बेरोजगार हो गये हैं. घर- परिवार चलाने के लिए आज सब्जी बेच रहे हैं. पढ़िए सुरेंद्र / शंकर की रिपोर्ट.
लॉकडाउन के 55 से अधिक दिन की लंबी अवधि के कारण चितरपुर प्रखंड के सुकरीगढ़ा पंचायत के 1000 आभूषण कारीगर बेरोजगार हो गये हैं. इनके सामने खाने के लाले पड़ गये हैं. इनमें से कई कारीगर अब पेट की खातिर घूम- घूम कर सब्जी बेचने को मजबूर हैं. वहीं, कई लोग अंडा और खाद्य सामग्री भी बेचने लगे हैं. जानकारी के अनुसार, यह गांव स्वर्णकार बाहुल्य गांव है. यहां के अधिकांश लोग आभूषण कारीगरी में ही आश्रित हैं. इनकी जीविका इसी मजदूरी से चलती है, लेकिन काम बंद होने जाने से इनके समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है.
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कई राज्यों में जाता है जेवरात
सुकरीगढ़ा पंचायत के कारीगरों द्वारा बनाये गये सोने, चांदी का पायल, अंगूठी, लॉकेट, मंगलसूत्र सहित अन्य जेवरात झारखंड के तिलैया, कोडरमा, हजारीबाग, डालटनगंज, गिरिडीह, गोमिया, साड़म, धनबाद, बरही के अलावा ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल राज्यों में भी जाता है.
सब्जी बेचने को हुए मजबूर
कारीगर वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि हमारे परिवार के समक्ष भुखमरी की स्थिति आ गयी है. परिजनों को दो वक्त की रोटी मिले, इसके लिए एकमात्र उपाय सब्जी बेचना ही रह गया है. नरेश प्रसाद ने कहा कि 55 दिनों से हम काम के अभाव में बैठे हैं. प्रतिदिन पायल व अन्य जेवरात बनाने पर हमलोग 300 से 500 रुपये तक कमाते थे, लेकिन अब पांच रुपये के लिए भी मोहताज हो गये हैं. इस कारण सब्जी बेचना शुरू किये हैं.
समाजसेवी विनय मुन्ना ने कहा कि पूरे रामगढ़ जिला में चार हजार से अधिक आभूषण कारीगर बैठे हुए हैं. सरकार को इन्हें छूट देनी चाहिए. इसके अलावा कारीगर अजीत कुमार, राकेश कुमार, कपिल कुमार, रितिक कुमार सहित कई ने बताया कि लॉकडाउन के कारण हमलोगों की कमर टूट गयी है. एक- एक रुपया के लिए तरस रहे हैं. सरकार को दुकान खोलने का आदेश जल्द देना चाहिए.