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2000 मेगावाट का विद्युत ताप घर बैठता, तो रामगढ़ की दशा कुछ और होती

नीरज अमिताभरामगढ़. रामगढ़ से सात किलोमीटर दूर छत्तर मांडू के निकट 2001-02 में दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) ने एक-एक हजार के दो विद्युत ताप गृह बैठाने का निर्णय लिया था. पहले कुरुम ग्राम के निकट इसके लिए जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव किया गया था. इसका ग्रामीणों ने बड़े पैमाने पर विरोध शुरू किया. इसके बाद […]

नीरज अमिताभरामगढ़. रामगढ़ से सात किलोमीटर दूर छत्तर मांडू के निकट 2001-02 में दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) ने एक-एक हजार के दो विद्युत ताप गृह बैठाने का निर्णय लिया था. पहले कुरुम ग्राम के निकट इसके लिए जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव किया गया था. इसका ग्रामीणों ने बड़े पैमाने पर विरोध शुरू किया. इसके बाद योजना को छत्तर मांडू के ही लोदमा ग्राम की ओर ले जाया गया. इस इलाके में गैर मजरूआ जमीन भी बड़े पैमाने पर थी. इसके लिए सर्वे का काम भी हुआ, लेकिन कुछ दिन बाद ही इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया. कई बार प्रशासनिक व डीवीसी स्तर पर इस दिशा में समझौते का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं बनी. बाद में डीवीसी ने इस क्षेत्र में ताप विद्युत संयंत्र बैठाने का योजना वापस ले लिया. इस विद्युत संयंत्र के साथ ही कोडरमा में भी विद्युत संयंत्र बैठाने की योजना बनायी गयी थी. वहां डीवीसी के विद्युत संयंत्र में उत्पादन भी प्रारंभ हो गया है. यदि रामगढ़ में विद्युत तार गृह लगता, तो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 50 हजार लोगों को रोजगार मिलता. वहीं रामगढ़ शहर की दशा कुछ और होती.

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