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72 वर्षों के बाद भी हरवे में नहीं बनी पक्की सड़क, ठगा महसूस कर रहे हैं ग्रामीण

कुजू : आजादी के 72 वर्षों के बाद भी आज भी ऐसे कई सुदूरवर्ती गांव हैं, जहां के लोगों को मूलभूत समस्याओं से निजात नहीं मिली है. मूलभूत समस्याअों से निजात दिलाना सरकार के एजेंडा में होता है. मांडू प्रखंड की करमा उत्तरी पंचायत स्थित हरवे गांव में भी कई समस्याएं हैं. यहां के लोगों […]

कुजू : आजादी के 72 वर्षों के बाद भी आज भी ऐसे कई सुदूरवर्ती गांव हैं, जहां के लोगों को मूलभूत समस्याओं से निजात नहीं मिली है. मूलभूत समस्याअों से निजात दिलाना सरकार के एजेंडा में होता है.

मांडू प्रखंड की करमा उत्तरी पंचायत स्थित हरवे गांव में भी कई समस्याएं हैं. यहां के लोगों के लिए आज भी पक्की सड़क नहीं बनी. यह गांव प्रखंड मुख्यालय व जिला मुख्यालय से काफी निकट है. इसके बाद भी राजनीतिक दल व प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं गया है.

पगडंडियों से होकर स्कूल जाते हैं गांव के बच्चे : गांव में एक नव प्राथमिक विद्यालय व एक उत्क्रमित मध्य विद्यालय है. गांव के बच्चों को मैट्रिक की पढ़ाई के लिए रोजाना करमा उच्च विद्यालय जाना पड़ता है. जब तक बच्चे सुरक्षित घर नहीं लौट जाते हैं, तब तक अभिभावकों को उनकी चिंता रहती है. बच्चे जिन पगडंडियों से आते-जाते हैं, उनमें उन्हें जंगलों के बीच से भी गुजरना पड़ता है.
1500 से 2000 की है आबादी : हरवे केंदुआटांड़ निवासी चेतलाल मांझी, सावित्री कुमारी, लखन महतो, नुन्नी देवी, संजय कुमार ने कहा कि हरवे गांव की आबादी करीब 1500 से 2000 की है. इसमें मांझी, मुंडा, करमाली, महतो व मुस्लिम जाति के लोग रहते हैं. इसके बावजूद इस गांव का विकास नहीं हुआ.
इसके कारण गांव के लोग ठगे-ठगे से महसूस कर रहे हैं. ग्र्रामीणों ने कहा कि राजनीतिक दल के लोग हरवे के ग्रामीणों को अपना वोट बैंक समझते हैं. जरूरत पड़ने पर आते हैं आैर आश्वासन देकर चले जाते हैं. इसके बाद फिर नहीं आते हैं. इधर, करमा उत्तरी के मुखिया शक्ति कुमार महतो ने कहा कि हरवे के लोगों की सबसे बड़ी समस्या सड़क है. इस संबंध में मेरे द्वारा भी पत्राचार किया जायेगा.

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