17 लाख 45 हजार रुपयों की हुई वसूली
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माता-पिता के भरण पोषण के लिए राशि देने का आदेश दिया गया
17 लाख 45 हजार रुपयों की हुई वसूली पत्नी-पत्नी को मिलाया गया, दोनों ने साथ रहने पर सहमति जतायी रामगढ़ : रामगढ़ व्यवहार न्यायालय में शनिवार को लोक अदालत का आयोजन किया गया. लोक अदालत में 19 मामलों का निष्पादन किया गया. इसमें से दो मामलों को छोड़ कर 17 मामलों का निष्पादन करते हुए […]
पत्नी-पत्नी को मिलाया गया, दोनों ने साथ रहने पर सहमति जतायी
रामगढ़ : रामगढ़ व्यवहार न्यायालय में शनिवार को लोक अदालत का आयोजन किया गया. लोक अदालत में 19 मामलों का निष्पादन किया गया. इसमें से दो मामलों को छोड़ कर 17 मामलों का निष्पादन करते हुए 17 लाख 45 हजार रुपये की वसूली की गयी. लोक अदालत में चार बेंच का गठन किया गया था.
बेंच एक में विद्युत विभाग के मामलों सुनने के लिए डीजे वन बबीता प्रसाद, एसडीजेएम आरती माला व अधिवक्ता पूनम पांडेय को प्रतिनियुक्त किया गया था. बेंच दो में सभी सिविल केस, भू अधिग्रहण, सर्टिफिकेट केस, क्रिमिनल अपील, क्रिमिनल रिवीजन, सिविल रिविजन व एमटीएस के मामलों को सुनने के लिए डीजे दो ओमप्रकाश, डीजे तीन रजनीकांत पाठक व एसीजेएम अभिमन्यु कुमार को प्रतिनियुक्त किया गया था. बेंच तीन में सभी क्रिमिनल कंपाउंडेबल केस, माप-तौल विभाग के केस, वन विभाग, उत्पाद विभाग तथा एनआइ एक्ट के केस को सुनने के लिए सीजेएम डीके सिंह, सब जज दो प्रेम शंकर तथा जेएम प्रथम श्रेणी राकेश रौशन को प्रतिनियुक्त किया गया था. बेंच चार में सभी प्री लिटिगेशन मैटर व बैंक के मामलों को सुनने के लिए पीएलए चैयरमैन प्रवीण कुमार सिन्हा, पीएलए मेंमर अभय कुमार तथा स्वपना शबनम नंदी को प्रतिनियुक्त किया गया था.
पति -पत्नी ने लोक अदालत में साथ रहने पर सहमति जतायी
लोक अदालत में एमटीएस केस नंबर 68/17 के मामले में दोनों पक्षों की सहमति न्यायधीशों की उपस्थिति में बनायी गयी. कुसुमडी चाड़ी गोला निवासी इम्तियाज अंसारी व उनकी पत्नी असगरी बेगम के बीच तलाक का मामला न्यायालय में चल रहा था. लोक अदालत में दोनों पक्षों के बीच सहमति बनाने के बाद पति पत्नी ने साथ रहने पर सहमति जतायी. असगरी बेगम पारा शिक्षक हैं.
माता पिता के भरण पोषण के लिए 6000 महीना पुत्र को देने का निर्देश
लोक अदालत के बेंच नंबर दो में मेंटेंनेंश केस नंबर 24/18 के मामले में दोनों पक्षों को लोक अदालत में न्यायधीशों की उपस्थिति में सहमति बनायी गयी. इस मामले के आवेदक रजरप्पा निवासी यूसुफ अंसारी व उसकी पत्नी मुनेजा खातून ने कोर्ट में आवेदन दिया था. इसमें कहा गया था कि उसके पुत्र हसीब अंसारी द्वारा भरण पोषण के लिए कोई मदद नहीं की जा रही है. उनकी स्थिति काफी दयनीय हो गयी है. उन्होंने अपने आवेदन में कहा कि मेहनत मजदूरी कर अपने पुत्र को अच्छी शिक्षा दिलवा कर डाकघर में नौकरी लगवायी. वर्ष 2011 में पुत्र द्वारा प्रेम विवाह करने के बाद पत्नी के कहने पर हमलोगों को खर्च देना बंद कर दिया गया. लोक अदालत में दोनों पक्षों में सहमति के बाद कोर्ट ने पुत्र को माता पिता को भरण पोषण के लिए छह हजार रुपये प्रतिमाह देने का निर्देश दिया.
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