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जेसीबी से कराया डोभा का निर्माण, योजना रद्द
कार्रवाई. मनरेगा के काम में हो रहा था मशीन का इस्तेमाल रोजगार सेवक ने दिया स्पष्टीकरण मेदिनीनगर : मनरेगा के तहत सदर प्रखंड के सुदना पूर्वी पंचायत के परिधि में आने वाले बाइपास रोड गौशाला के पास जेसीबी से मनरेगा का डोभा बन रहा था. इस मामले में उपायुक्त अमीत कुमार को यह शिकायत मिली […]
कार्रवाई. मनरेगा के काम में हो रहा था मशीन का इस्तेमाल
रोजगार सेवक ने दिया स्पष्टीकरण
मेदिनीनगर : मनरेगा के तहत सदर प्रखंड के सुदना पूर्वी पंचायत के परिधि में आने वाले बाइपास रोड गौशाला के पास जेसीबी से मनरेगा का डोभा बन रहा था. इस मामले में उपायुक्त अमीत कुमार को यह शिकायत मिली थी कि मनरेगा के तहत बन रहे डोभा कार्य में जेसीबी का प्रयोग किया जा रहा है.
उन्होंने इस मामले में जांच कर बीडीओ को रिपोर्ट सौंपने को कहा था. जांच के बाद बीडीओ ने यह पाया था कि डोभा निर्माण में जेसीबी का प्रयोग किया गया था. इस मामले में 30 मई को उन्होंने संबंधित पंचायत के पंचायत सेवक, रोजगार सेवक के साथ-साथ मुखिया से भी स्पष्टीकरण मांगा था कि आखिर किस परिस्थिति में मनरेगा के तहत बन रहे डोभा निर्माण में जेसीबी का प्रयोग किया गया है.
इसमें रोजगार सेवक सत्येंद्र कुमार ने स्पष्टीकरण दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि लाभुक अक्षय कुमार सिंह के खेत में डोभा का निर्माण कराने की स्वीकृति मनरेगा के तहत मिली थी. 30 मई को लाभुक अक्षय कुमार सिंह ने बीडीअो के नाम पर आवेदन दिया था, जिसमें डोभा का कार्य मनरेगा के तहत नहीं कराने, साथ ही निजी खर्च पर डोभा निर्माण की बात कही थी. इसके बाद इस योजना पर सरकारी राशि खर्च नहीं हुई है. लाभुक ने स्वेच्छा से निजी खर्च पर डोभा का निर्माण कराया है, इसलिए इस मामले में कहीं से भी मनरेगा के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं हुआ है.
उठते सवाल : स्पष्टीकरण के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. मामला यह है कि मनरेगा के तहत डोभा निर्माण में जेसीबी के प्रयोग का मामला 30 मई को पकड़ा गया था. जब प्रमुख रीमा देवी वहां गयी थी. उन्होंने ही उपायुक्त से दूरभाष पर इसकी शिकायत की थी. बताया जाता है कि इसके पूर्व 28 मई को प्रमुख ने इस योजना का निरीक्षण किया था. उस दौरान यह पाया गया था कि मजदूरों ने कुछ कार्य किया है. जब 30 मई को मामला गंभीर हो गया, तो आनन-फानन में एक दूसरी कहानी गढ़ी गयी.
ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि यदि लाभुक स्वयं सक्षम थे, तो उन्होंने पूर्व में यह लिख कर क्यों नहीं दिया कि वह स्वयं डोभा का निर्माण करा लेंगे. जब जेसीबी लगाने की पुष्टि हो गयी, बीडीओ ने जांच में मामले को सही पाया उसके बाद जमीन मालिक ने यह कहा कि वे स्वेच्छा से डोभा का निर्माण करा लेंगे. यह कई सवालों को जन्म देता है. बहरहाल अभी कई अन्य लोगों के भी स्पष्टीकरण आने बाकी है. बीडीओ जुल्फीकार अहमद का कहना है कि सभी का स्पष्टीकरण प्राप्त होने के बाद समेकित रिपोर्ट बनाकर उपायुक्त के पास भेजा जायेगा. मनरेगा के तहत जिन मजदूरों ने काम किया, उनका पैसा किस मद से दिया जायेगा.
मनरेगा में प्रावधान है कि प्रतिदिन मस्टर रोल भरा जाना है. जो कहानी बतायी जा रही है, वह तो इसी ओर इशारा करती है कि पहले गलती करें, यदि पकड़े जायें तो लिख कर दे दें कि मुझे काम ही नहीं करना. क्या यह प्रावधान के मुताबिक उचित है और क्या काम शुरू होने के बाद किसी स्वीकृत योजना को रद्द किया जा सकता हैं. वह भी रोजगार सेवक द्वारा.
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