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विश्वनाथ चौधरी की हत्या पुलिस की चूक : नइमुद्दीन

विश्रामपुर (पलामू) : अगर विश्रामपुर पुलिस सतर्कता बरतते हुए ईमानदारी पूर्वक कार्य करती, तो बीसु चौधरी की हत्या नहीं होती. विश्वनाथ चौधरी उर्फ बीसु चौधरी ने एक माह के दौरान थाने में तीन आवेदन देकर आरोपियों से मिल रही धमकी का उल्लेख करते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की थी. बीसु चौधरी ने पुलिस से […]

विश्रामपुर (पलामू) : अगर विश्रामपुर पुलिस सतर्कता बरतते हुए ईमानदारी पूर्वक कार्य करती, तो बीसु चौधरी की हत्या नहीं होती. विश्वनाथ चौधरी उर्फ बीसु चौधरी ने एक माह के दौरान थाने में तीन आवेदन देकर आरोपियों से मिल रही धमकी का उल्लेख करते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की थी.
बीसु चौधरी ने पुलिस से अपने जान–माल के सुरक्षा की गुहार भी लगायी थी, लेकिन पुलिस ने उसकी फरियाद नहीं सुनी. जिसके चलते हत्यारोपियों का मनोबल बढ़ता गया और अंतत: उनलोगों ने बीसु की हत्या भी कर दी. बीसु की हत्या पूर्णत: पुलिस की चूक है. इस हत्याकांड से पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठने लाजिम है.
हत्या के बाद सभी आरोपी घंटों हथियार के साथ विश्रामपुर के गलियों में घूमते रहे, लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ने का तत्काल कोई भी प्रयास नहीं किया. इसी बात को लेकर स्थानीय लोगों का पुलिस पर से भरोसा उठता जा रहा है.
लोग इतने आक्रोशित थे कि बीसु चौधरी के भाव को उठाने नहीं दे रहे थे. हत्या के 12 घंटे बाद राजनैतिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं के समझाने बुझाने पर लोगों नें भाव उठाने दिया. पुलिस व पीड़ित परिवार के बीच संवाद का माध्यम नप अध्यक्ष प्रतिनिधि नइमुद्दीन अंसारी, मो. सतार खलिफा उर्फ पेंटर जिलानी, मुखिया रविंद्रनाथ उपाध्याय, नगर पार्षद सुनील चौधरी, विजय कुमार रवि, संजय ठाकुर, सलमुद्दीन अंसारी आदि बने.

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