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एकमात्र पायल भी बेचने की आ गयी है नौबत
पाटन : पाटन के पेंशनधारियों की स्थिति क्या है इसका अंदाजा पति कुंवर (80) की कहानी से लगाया लगाया जा सकता है. किशुनपुर गांव की रहने वाली पति कुंवर के पास गहना के नाम पर एक पायल है, काफी दिनों से उसे सहेज कर रखा है. क्योंकि उस पायल के साथ कई यादें जुड़ी हुई […]
पाटन : पाटन के पेंशनधारियों की स्थिति क्या है इसका अंदाजा पति कुंवर (80) की कहानी से लगाया लगाया जा सकता है. किशुनपुर गांव की रहने वाली पति कुंवर के पास गहना के नाम पर एक पायल है, काफी दिनों से उसे सहेज कर रखा है. क्योंकि उस पायल के साथ कई यादें जुड़ी हुई हैं.
हालात ने पति कुंवर को उस पायल को बेचने के लिए मजबूर कर दिया है. वह कई बार पायल लेकर दुकान में जाती है, लेकिन सही दाम नहीं मिलने से वह लौट जाती है. पति कुंवर वृद्धा पेंशनधारी है. उसे अंतिम बार दिसंबर 2015 में 1200 रुपये मिले थे, जिसके बाद से पेंशन नहीं मिली है. पति कुंवर की कहानी तो एक बानगी मात्र है.
किशुनपुर में भी ऐसे कई पेंशनधारी हैं, जिन्हें समय पर पेंशन नहीं मिल रहा है और वे परेशान हैं. पति कुंवर बताती है कि उसके पति की मौत लगभग 30 साल पहले हो गयी है. उसके दो बेटे थे. बड़े बेटे की मौत चार साल पहले बीमारी से हो गयी. दूसरा बेटा अपने बाल-बच्चों को लेकर छत्तीसगढ़ में रहता है.
पति कुंवर को जो पेंशन मिलती है, वही उसके जीने का सहारा है. लेकिन पिछले चार माह से पेंशन नहीं मिलने से उसे खाने तक के लाले पड़ गये हैं. जब पैसा का इंतजाम नहीं हुआ तो उसने पायल बेचने के मन बनाया. लेकिन जब वह पायल लेकर दुकान गयी तो निराशा हुई.
दुकानदार ने पायल की कीमत मात्र 300 रुपये लगायी. इसके बाद वह पायल लेकर वापस आ गयी. पति कुंवर का कहना है कि जब वह प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) से मिलने जाती है, तो बीडीओ कहते हैं कि बैंक में पैसा चला गया है. बैंकवाले प्रज्ञा केंद्र भेज देते हैं.
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