डाकघर के पोस्ट मास्टर पर लगाया मनमानी का आरोप
चैनपुर(पलामू) : चैनपुर प्रखंड के सलतुआ के लाभुकों को ससमय वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल पा रहा है़ लाभुकों का आरोप है कि ऐसा डाकघर के पोस्ट मास्टर के मनमानी के कारण हो रहा है़ पेंशन कब तक मिलेगा, इससे संबंधित जानकारी मांगने पर पोस्टमास्टर द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जाता है़ अक्सर पोस्ट ऑफिस बंद ही पाया जाता है़
इस मनमानी से नाराज लाभुकों ने मुखिया रवंती देवी से इसकी शिकायत की थी़, जिसके बाद मुखिया रवंती देवी के नेतृत्व में सैकड़ों लाभुकों ने सोमवार को सलतुआ के डाकघर में ताला जड़ दिया़ ऐलान किया गया कि जब तक डाक विभाग के वरीय अधिकारी यहां आकर वस्तुस्थिति की जानकारी नहीं लेते हैं, तब तक वे लोग डाकघर का ताला नहीं खोलेंगे़
मुखिया रवंती देवी ने कहा कि लाभुक जो शिकायत कर रहे हैं, वह शत-प्रतिशत सही है़ जब लाभुकों के आक्रोश के बारे में पोस्ट मास्टर को जानकारी मिली तब वह सोमवार को डाकघर खोलने आये थे, लेकिन लाभुकों ने उन्हें बैरंग लौटा दिया़
पूर्व में मौखिक तौर पर उन्होंने पोस्ट मास्टर से कहा था कि समय पर पेंशन का भुगतान करना सुनिश्चित करें, लेकिन उनके द्वारा इस मसले पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया़ इसलिए लाभुकों को आकोशित होना स्वाभाविक है़ आंदोलन में वार्ड सदस्य कृष्णा प्रसाद, गीता देवी, चंदन राम, ब्रह्मदेव सिंह, लाभुक पुनीता कुमारी, अनिल कुमार सिंह, अजय सिंह, सरस्वती कुंवर, सुखारी राम, गोरी कुंवर, मलुका कुंवर, आसमोहम्मद अंसारी, हरिद्वार सिंह, श्रीकांत सिंह सहित काफी संख्या में लोग शामिल थे़
क्या कहते हैं पोस्टमास्टर : सलतुआ डाकघर के पोस्ट मास्टर अरुण कुमार ने कहा कि पैसा ही विलंब से आता है. लेकिन लाभुक यह समझते हैं कि उनकी वजह से यह विलंब हो रहा है. जब भी पोस्ट ऑफिस बंद रहता है, उसकी पूर्व सूचना दीवार पर चिपका दिया जाता है. उन पर जो भी आरोप लगाये गये हैं, वह सत्य से परे है़
कौन है अनारकली के मौत का जिम्मेवार : हाल में ही सलतुआ पंचायत के एक वृद्धावस्था पेंशन लाभुक अनारकली कुंवर की मौत हुई है़ उसकी उम्र 75 साल थी. वह बीमार थी, पर दवा लेने के लिए उसके पास पैसा नहीं था़
21 दिसंबर को डाकघर में पेंशन की राशि आ गयी थी. आरोप है कि पोस्टमास्टर द्वारा 26 दिसंबर तक पैसा नहीं बांटा गया़ इस बीच अनारकली पैसे की आस में कई बार डाकघर का चक्कर लगायी, पर कुछ नहीं हुआ. लोगों से कहा भी था कि पैसे की जरूरत है, यदि मिल जाता तो दवा खरीद लेते.
26 की रात उसकी मौत हो गयी़ आंदोलन में शामिल लोग कह रहे थे कि आखिर अनारकली के मौत का जिम्मेवार कौन है ? लोगों का कहना है कि अनारकली की कहानी तो एक बानगी मात्र आये दिन इस तरह की लापरवाही से कई जरूरतमंदों की जान जा रही है़ पर देखने वाला कोई नहीं है़