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काम कुछ नहीं, वेतन मिलता था 20 हजार

काम कुछ नहीं, वेतन मिलता था 20 हजारसरकार ने प्रखंड लोक स्वास्थ्य अभियंताओं की सेवा समाप्त कर दी अदालत ने भी अभियंताओं की याचिका अस्वीकार कर दी विशेष संवाददाता, रांची प्रखंड लोक स्वास्थ्य अभियंताओं का वेतन 20 हजार रुपये तय था, पर इंजीनियरों ने बिना काम के ही वेतन लिया. मामल के पकड़ में आने […]

काम कुछ नहीं, वेतन मिलता था 20 हजारसरकार ने प्रखंड लोक स्वास्थ्य अभियंताओं की सेवा समाप्त कर दी अदालत ने भी अभियंताओं की याचिका अस्वीकार कर दी विशेष संवाददाता, रांची प्रखंड लोक स्वास्थ्य अभियंताओं का वेतन 20 हजार रुपये तय था, पर इंजीनियरों ने बिना काम के ही वेतन लिया. मामल के पकड़ में आने के बाद सरकार ने इनकी सेवा समाप्त कर दी. इस बीच अदालत ने भी उनकी सेवा नियमित करने की मांग भी अस्वीकार कर दी. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने संविदा पर 107 प्रखंड लोक स्वास्थ्य अभियंताओं की नियुक्ति की थी. केंद्र प्रायोजित योजना जल एवं स्वच्छता मिशन के कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू करने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में प्रखंड स्तर पर इनकी नियुक्ति का फैसला किया गया था. विभागीय स्तर पर नियुक्ति के इस फैसले के आलोक में फरवरी 2014 में संविदा के आधार पर इनकी नियुक्ति की गयी थी. एक-एक प्रखंड लोक स्वास्थ्य अभियंताओं को प्रति माह कम से कम 20-20 ‘सोक पिट’ बनाना था. सोक निर्माण नहीं करने पर अनुपातिक ढंग वेतन में कटौती करना था. इसके अलावा उन्हें ग्रामीण जल एवं स्वच्छता कमेटी का लेखा जोखा तैयार करने में मदद करना था. साथ ही उपयोगिता प्रमाण पत्र तैयार करने में भी मदद करना था. प्रखंड स्तर पर इन अभियंताओं की नियुक्ति सिर्फ छह माह के लिए की गयी थी. विभागीय सचिव एपी सिंह ने इन अभियंताओं द्वारा किये गये कार्यों की समीक्षा की. इसमें यह पाया गया कि इन अभियंताओं ने एक भी ‘सोक पिट’ का निर्माण नहीं किया है. समाक्षा के बाद उन्होंने इन अभियंताओं को सेवा विस्तार देने के इनकार कर दिया. सरकार द्वारा की गयी इस कार्रवाई के बाद इन अभियंताओं ने हाइकोर्ट में एक याचिका दाखिल की और अपनी सेवा नियमित करने की मांग की. याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने इनकी मांग को अस्वीकार कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इन अभियंताओं की नियुक्ति संवादा के आधार पर सिर्फ छह माह के लिए ही हुई थी. इसलिए उनकी सेवा नियमित नहीं की जा सकती है.

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