चायवाला पीएम कैसे बना, कुछ लोग बरदाश्त नहीं कर पा रहे : अनुपम खेरबोले अनुपम खेर – देश में कहीं असहिष्णुता का माहौल नहीं- मोदी के खिलाफ साइन करनेवालों को ही असहिष्णुता नजर आ रही है- मुझे अपने देश के पीएम पर गर्व है- फिल्मी दुनिया नहीं बंटी है, केवल विचार अलग-अलग हैं- सालभर पहले मोदी सरकार नहीं थी, तो किसी को असहिष्णुता नजर नहीं आती थी वरीय संवाददातारांची : फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने कहा है कि देश में एक चायवाला प्रधानमंत्री कैसे बन गया, लोग इसे बरदाश्त नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे ही लोगों को देश में असहिष्णुता नजर आ रही है. अनुपम खेर शनिवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिलने उनके आवास पहुंचे थे़ वहां पत्रकारों से बताचीत के दौरान अनुपम खेर ने कहा : यह भारत ही है, जहां असहमति के बावजूद लोग मिल-जुल कर रहते हैं. यहां सबको बोलने की आजादी है. जिन्हें फर्क नहीं पड़ता, वे ही असहिष्णुता पर बोलते हैंउन्होंने कहा : सबसे बड़ी बात यह है कि जिन लोगों को इनटोलरेंस (असहिष्णुता) से कोई फर्क नहीं पड़ता, जो बुद्धिजीवी हैं, जो अमीर लोग हैं, जो बड़े-बड़े ओहदों पर हैं, वे ही इसकी बात करते हैं. जबकि उन्हें इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता. उनकी दुकान और काम सब आराम से चलते हैं. जिनको फर्क पड़ना चाहिए उनको कुछ महसूस नहीं होता. स्टार को सोच समझ कर बोलना चाहिएअनुपम खेर ने स्टार लोगों की ओर से वक्तव्य दिये जाने के मुद्दे पर कहा : भगवान जब आपको पावर देता है, सफलता देता है, लोग आपको फॉलो करते हैं. तब आप जब बोलते हैं, तो फर्क दुनिया पर पड़ता है, देश पर पड़ता है. तो आपकी बात सोच-समझ कर निकलनी चाहिए. इसकी प्रतिक्रिया कुछ भी हो सकती है. आप तो 20-22 बॉडीगार्ड के साथ घूमते हैं. पर जो एक आदमी, वह चाहे मुसलमान हो, हिंदू हो , इसाई या सिख हो,काम करके रोटी खाता है, उनके मन में डर पैदा हो जाता है. उन्हें लगता है कि क्या देश में वाकई असहिष्णुता है. मुझे लगता है कि यह नहीं होना चाहिए. मोदी अच्छा काम कर रहे हैं आखिर कौन लोग हैं, इसके पीछे, पूछे जाने पर अनुपम खेर कहते हैं : यह तो मैं नहीं बता सकता. पर मुझे लगता है कि पीएम मोदी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. जब वह विदेश जाते हैं, तो लोग देश की तारीफ करते हैं. पहले कभी विदेश के लोगों को भारत के बारे में इतनी अच्छी बातें कहते नहीं सुना था. मुझे अपने भारतीय होने और अपने प्रधानमंत्री पर गर्व होता है. उन्होंने कहा : मुझे तो लगता है कि ये वही लोग हैं, जिन्होंने मोदी के खिलाफ साइन करके राष्ट्रपति को दिया था. मोदी को वीजा नहीं मिलना चाहिए, यह मांग की थी. यह भारत देश ही है, जहां इतनी आजादी है कि आप टेलीविजन पर एक निर्वाचित नेता के बारे में बोल सकते हैं कि मुझे पीएम पसंद नहीं है. अवार्ड वापस करनेवालों की अपनी मरजीअवार्ड वापसी के मुद्दे पर अनुपम खेर ने कहा कि यह उनकी अपनी मरजी है. उन्हें तो बहुत ही मेहनत से अवार्ड मिला था. पिछले दिनों जब वह राष्ट्रपति से मिले थे, तो राष्ट्रपति ने भी कहा था कि उनकी खुद की सोच है कि अवार्ड तो देश देता है न कि कोई व्यक्ति. अवार्ड वापस करनेवालों के भी मौलिक अधिकार हैं, उनकी अपनी सोच है. इतने सालों तक यह शब्द नहीं सुनाउन्होंने कहा : मैं 60 साल का हो गया़ पर अपने जीवन में इतने सालों तक यह शब्द नहीं सुना जो पिछले दो महीने से सुन रहा हूं. यह देश तो 200 सालों की गुलामी में टोलरेंस की जीती-जागती मिसाल है. हमारे डीएनए में टोलरेंस है. अभी जो हो रहा है, वह इसलिए कि सालभर पहले मोदी सरकार नहीं थी, तो किसी को असहिष्णुता नजर नहीं आ रही थी. राष्ट्रीयता से बड़ा कोई धर्म नहींअनुपम खेर ने कहा : देश में सभी संभावनाओं को खुला रखना चाहिए. राष्ट्रीयता से बड़ा कोई धर्म नहीं है. घर में यदि कोई समस्या है, तो छत पर नहीं चिल्लाते, घर में ही सुलझाते हैं. क्रिकेट के मुद्दे पर कहा : सीमा पर जब हमारे जवाने मारे जा रहे हैं, तो ऐसे में भारत-पाक के बीच मैच कैसे हो सकता है. पर यदि डिप्लोमेसी को लगता है, तो मैच का आयोजन किया जा सकता है.
चायवाला पीएम कैसे बना, कुछ लोग बरदाश्त नहीं कर पा रहे : अनुपम खेर
चायवाला पीएम कैसे बना, कुछ लोग बरदाश्त नहीं कर पा रहे : अनुपम खेरबोले अनुपम खेर – देश में कहीं असहिष्णुता का माहौल नहीं- मोदी के खिलाफ साइन करनेवालों को ही असहिष्णुता नजर आ रही है- मुझे अपने देश के पीएम पर गर्व है- फिल्मी दुनिया नहीं बंटी है, केवल विचार अलग-अलग हैं- सालभर पहले […]
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