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घटने के बजाय बढ़ रहे केरोसिन उपभोक्ता

घटने के बजाय बढ़ रहे केरोसिन उपभोक्ता 47 लाख से बढ़ कर हुए 51.7 लाख, इस्तेमाल घटा पर उठाव नहींवरीय संवाददाता, रांचीदेश भर के घरेलू उपभोक्ताअों को केरोसिन दो मकसद से दिया जाता है. घर में रोशनी करने तथा खाना पकाने के लिए. बिजली तथा खाना पकाने के साधनों की कमी ग्रामीण इलाके में अधिक […]

घटने के बजाय बढ़ रहे केरोसिन उपभोक्ता 47 लाख से बढ़ कर हुए 51.7 लाख, इस्तेमाल घटा पर उठाव नहींवरीय संवाददाता, रांचीदेश भर के घरेलू उपभोक्ताअों को केरोसिन दो मकसद से दिया जाता है. घर में रोशनी करने तथा खाना पकाने के लिए. बिजली तथा खाना पकाने के साधनों की कमी ग्रामीण इलाके में अधिक होती है. इसलिए सरकार ग्रामीण इलाके में उपभोक्ताअों को अधिक (चार लीटर) तथा शहरी क्षेत्र में कम (तीन लीटर) केरोसिन देती है. जनगणना-2011 के अांकड़े बताते हैं कि झारखंड में केरोसिन से रोशनी करने वाले घर घट गये हैं. वर्ष 2001 की जनगणना की तुलना में इनकी संख्या 10.27 फीसदी घटी है. वहीं इस दौरान खाने पकाने के लिए केरोसिन के इस्तेमाल में तो 68.36 फीसदी की कमी आयी है. पर राज्य सरकार ने केरोसिन मंगाने में कोई कमी नहीं की है. इसके उलट अब खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होने के बाद केरोसिन के उपभोक्ताअों की संख्या बढ़ गयी है. जबकि सरकार एक लाख गरीबों को फिर से अुदानित दर पर पांच किलो वाला एलपीजी सिलेंडर देने जा रही है. पहले जहां राज्य भर के कुल 47,15,046 घरों में केरोसिन दिये जाते थे. वहीं अब खाद्य आपूर्ति विभाग ने कुल 51,70,159 लाभुकों को केरोसिन देने का संकल्प जारी किया है. पहले की तरह ही ग्रामीण इलाके में प्रति लाभुक चार लीटर तथा शहरी क्षेत्र में तीन लीटर केरोसिन का वितरण किया जायेगा. इधर यह खुली सच्चाई है कि इसका पालन पहले से नहीं हो रहा है. दूसरी ओर ऐसे उपभोक्ता भी हैं, जो केरोसिन नहीं लेते, लेकिन इनके लिए आवंटित केरोसिन की भी खपत दिखायी जाती है. अभी केंद्र राज्य सरकार के लिए हर माह करीब 22500 किलो लीटर केरोसिन आवंटित करता रहा है. एक किलो लीटर में एक हजार लीटर होता है. इस तरह हर माह करीब 2.25 करोड़ लीटर केरोसिन मिलता है. केरोसिन में गड़बड़ी हर ड्रम में 10 लीटर तक कम तेलअभी राज्य को हर माह 2.25 करोड़ लीटर केरोसिन आवंटित होता है. दो सौ लीटर प्रति ड्रम के हिसाब से कुल 1,12,500 ड्रम में इस तेल का कारोबार होता है. इधर, पीडीएस दुकानदार संघ के अनुसार, उन्हें हर ड्रम में औसतन 10 लीटर तक कम केरोसिन मिलता है. इस तरह करीब 11.25 लाख लीटर केरोसिन पहले चरण में ही बाजार में ब्लैक हो रहा है. खुले बाजार में इसकी कीमत पांच करोड़ से अधिक होती है. उधर, 28 रुपये प्रति ड्रम कमीशन पानेवाला पीडीएस दुकानदार इसकी भरपाई कार्ड धारकों को तेल में कटौती कर करता है.हर माह 18 करोड़ की अतिरिक्त कमाईविभागीय सूत्रों के अनुसार, हर माह लगभग 60 लाख लीटर से कम केरोसिन की कालाबाजारी नहीं होती है. संताल परगना इलाके से केरोसिन प.बंगाल जाने की बात तो खुद पूर्व मंत्री लोबिन हेंब्रोंम ने विभागीय समीक्षा के दौरान कही थी. बड़ी संख्या में खासकर एपीएल लाभुक केरोसिन का उठाव नहीं करते हैं. यह भी खुले बाजार में बिकता रहा है. पीडीएस में केरोसिन जहां 14-15 रु लीटर मिलता है, वहीं खुले बाजार में अभी इसकी कीमत लगभग 40-45 रुपये प्रति लीटर है. इस तरह 60 लाख लीटर तेल से लगभग 18 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई हो रही है. उपभोक्ता घटे, पर केरोसिन नहींमद ® जनगणना-2001 ® जनगणना-2011 ® कमी/वृद्धिकेरोसिन से रोशनी ® 3660073 घर ® 3284079 घर ® 10.27 फीसदी की कमीकेरोसिन से खाना पकाना ® 46078 घर ® 14578 घर ® 68.36 फीसदी कमी(वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में घरों की कुल संख्या 77.96 लाख है)वर्जन : सरकार की एक गाइडलाइन है कि जिनके पास एलपीजी कनेक्शन है, उन्हें केरोसिन नहीं देना है. अभी एलपीजी कनेक्शन संबंधी पूरे आंकड़े विभाग के पास नहीं है. धीरे-धीरे केरोसिन की कटौती की जायेगी. रवि रंजन, विशेष सचिव खाद्य अापूर्ति

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