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अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत चुनाव अवैध

अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत चुनाव अवैध- एसीएस ने किया विरोध, कहा-राज्य सरकार ने प्रोविजन शब्द ही कर दिया गायब संवाददाता, रांचीआदिवासी छात्र संघ (एसीएस) ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत चुनाव को असंवैधानिक बताते हुए इसका विरोध किया है़ अध्यक्ष सुशील उरांव व अन्य ने कहा कि संविधान के 73वें व 74वें संशोधन में संविधान के […]

अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत चुनाव अवैध- एसीएस ने किया विरोध, कहा-राज्य सरकार ने प्रोविजन शब्द ही कर दिया गायब संवाददाता, रांचीआदिवासी छात्र संघ (एसीएस) ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत चुनाव को असंवैधानिक बताते हुए इसका विरोध किया है़ अध्यक्ष सुशील उरांव व अन्य ने कहा कि संविधान के 73वें व 74वें संशोधन में संविधान के अनुच्छेद 243 एम 1 और जेडसी द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत राज व्यवस्था लागू करने और नगरपालिका के गठन पर संवैधानिक रोक लगायी गयी है. इसके आधार पर संसद ने पीपेसा कानून (प्रोविजंस ऑफ पंचायत एक्सटेंशन टू शिड्यूल एरियाज एक्ट), 1996 बनाया, जिसे राष्ट्रपति ने अपनी स्वीकृति दी है. इस कानून द्वारा शांति और स्वच्छ प्रशासन के लिए अनुसूचित क्षेत्रों में 23 प्रावधानों काे विस्तार दिया गया. पर राज्य सरकार ने मनमाने ढंग से पीपेसा से ‘पी’ शब्द हटा लिया और इसे पेसा बना दिया. इसके बाद पीपेसा की धारा चार, चार (ओ), चार (एम) व धारा पांच की अनदेखी करते हुए पंचायत राज व्यवस्था स्थापित कर दी. आदिवासी छात्र संघ मुख्यमंत्री रघुवर दास और विस अध्यक्ष दिनेश उरांव से मांग करता है कि पीपेसा की धारा चार, चार (ओ), चार (एम) व धारा पांच के संगत अविलंब नियमावली बनाये़ पंचायत चुनाव के विरोध में 25 अक्तूबर को राजभवन के समक्ष धरना दिया जायेगा. वे रविवार को होटल सूर्या में पत्रकारों से रूबरू थे़नगरपालिका, नगर निगम भी असंवैधानिकसदस्यों ने कहा कि राज्य सरकार न्यायालयों में तथ्यहीन आधार प्रस्तुत कर इसे अनुसूचित क्षेत्रों में प्रभावहीन बनाने की कोशिश कर रही है. इसके अतिरिक्त संसद ने आज तक अनुच्छेद 243 जेडसी (3) के तहत नगरपालिका के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित नहीं किया है. इसके बावजूद राज्य सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में भी गैरकानूनी तरीके से नगर पालिका, नगर निगम का गठन किया है. इन कारणों से अनुसूचित जनजाति के लोग अपने संवैधानिक अधिकार और जल, जंगल, जमीन से बेदखल हो रहे हैं. पीपेसा कानून स्वत: लागू है और इसकी धारा चार व पांच सरकार को इसमें कोई भी संशोधन करने से रोकती है. आदिवासी छात्र संघ के प्रभाकर कुजूर, जलेश्वर भगत, महेंद्र एक्का, प्रकाश उरांव, संजय तिर्की, संजय उरांव व अन्य ने भी विचार रखे़

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