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झारखंड में सुखाड़ की आशंका

झारखंड में सुखाड़ की आशंका – सितंबर में 235 मिमी के मुकाबले मात्र 79 मिमी ही बारिश हुई- खेतों में लगी धान की फसल हो रही चौपट – किसान परेशान, अब सरकार से मदद की आस अगस्त व सितंबर में हुई बारिश का रिकॉर्ड (मिमी में)जिला®सामान्य (अगस्त)®वास्तविक (अगस्त)®सामान्य (सितंबर) वास्तविक®(सितंबर)रांची 313.5®204.4®300.3®58.2खूंटी 249.9®162.0®258.3®41.9गुमला 272.4®220.7®201.5®93.7सिमडेगा 307.7®366.4®254.4®123.1लोहरदगा 261.9®246.3®212.8®48.7गढ़वा […]

झारखंड में सुखाड़ की आशंका – सितंबर में 235 मिमी के मुकाबले मात्र 79 मिमी ही बारिश हुई- खेतों में लगी धान की फसल हो रही चौपट – किसान परेशान, अब सरकार से मदद की आस अगस्त व सितंबर में हुई बारिश का रिकॉर्ड (मिमी में)जिला®सामान्य (अगस्त)®वास्तविक (अगस्त)®सामान्य (सितंबर) वास्तविक®(सितंबर)रांची 313.5®204.4®300.3®58.2खूंटी 249.9®162.0®258.3®41.9गुमला 272.4®220.7®201.5®93.7सिमडेगा 307.7®366.4®254.4®123.1लोहरदगा 261.9®246.3®212.8®48.7गढ़वा 278.2®173.3®204.3®34.0पलामू 258.5®165.3®206.7®41.0लातेहार 355.1®245.8®227.0®71.6पू सिंहभूम 301.4®154.0®191.9®109.6प सिंहभूम 303.0®123.4®256.2®82.5 सरायकेला 270.3®148.3®208.3®101.4हजारीबाग 177.2®321.2®220.3®72.3 रामगढ़ 183.8®209.5®218.3®68.1चतरा 258.4®226.1®205.2®64.1कोडरमा 310.8®243.0®214.2®43.5गिरिडीह 235.5®315.7®277.8®62.6धनबाद 308.3®180.0®218.7®89.9बोकारो 314.7®173.1®230.2®36.2दुमका 256.6®288.6®252.7®99.1देवघर 284.0®262.3®198.9®60.1जामताड़ा 325.6®260.0®262.5®69.8गोड्डा 193.6®323.0®189.8®115.0साहेबगंज 216.3®410.0®219.9®171.8पाकुड़ 392.3®296.1®431.5®156.9राज्य गठन के बाद रांची में जून से सितंबर की औसत बारिश वर्ष® बारिश (मिमी में)2000®10412001®10592002®11272003®12162004®10222005®8972006®16342007®10992008®11772009®10612010®10952011®21062012®9172013®7212014®6822015®622अप लैंड की धान को काफी नुकसान बीएयू के एग्रो एडवाइजरी सर्विस के नोडल अफसर डॉ ए बदूद बताते हैं कि 1956 से अब तक का मौसम का आकड़ा बीएयू के पास है. इस बार मॉनसून (जून से सितंबर) में सबसे कम बारिश हुई है. तीन बार ही 700 मिमी से कम बारिश हुई है. यह अप्रत्याशित स्थिति है. मौसम की इस स्थिति से राज्य में लगे अप लैंड धान (ऊपरी जमीन) को काफी नुकसान हुआ है. दरार फट जाने और फसल के पीला होने की सूचना मिली है. राज्य में करीब 30 फीसदी धान की खेती अप लैंड में होती है. 70 फीसदी धान मध्यम या नीची जमीन में लगायी जाती है. मध्यम और नीची जमीन वाली धान ठीक है. उसमें दाने भी लगने लगे हैं. रांची में अब तक की सबसे कम बारिश 2001 से अब तक रांची में मात्र दो बार औसत से अधिक बारिश हुई है़ मौसम विज्ञान और कृषि विभाग के अनुसार, राज्य की औसत बारिश 1400 मिमी के आसपास है. राज्य में सबसे अधिक बारिश रांची प्रमंडल (1100 मिमी) में होती है. पिछले 15 साल में मात्र दो बार 1400 मिमी से अधिक बारिश हुई है. 2006 में 1600 से अधिक और 2011 में 2100 मिमी से अधिक बारिश हुई थी. पिछले चार साल से जून से सितंबर माह तक औसत बारिश एक हजार मिमी से नीचे हो रही हैं. 1969 में रांची में 698 मिमी बारिश हुई थी. इस बार मात्र 622 मिमी बारिश जून से सितंबर माह तक हुई है.चार मासूम बच्चाें को छोड़ बुधनी ने कर ली थी आत्महत्या मनोहरपुर. पश्चिमी सिंहभूम में सुखाड़ के कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. जिले के आनंदपुर प्रखंड की सतबमड़ी गांव की बुधनी तिर्की (45) पर 20 हजार से अधिक का कर्ज था. उसने यह कर्ज अपनी दो एकड़ भूमि पर फसल लगाने के लिए लिये थे़ उम्मीद थी कि फसल होगी, तो वह कर्ज चुका कर चार बच्चों को पाल सकेगी़ बुधनी तिर्की के पति का निधन 2001 में ही हाे गया था़ 26 सितंबर को वह अपने खेत पहुंची. फसलों की हालत देख कर उसका हौसला टूट गया. समय पर बारिश नहीं होने के कारण धान के बीचड़े पूरी तरह से पीले पड़ गये थे. फसल होने की कोई संभावना नहीं बची थी. अपने और परिवार के अंधकारमय भविष्य को देखते हुए बुधनी ने खेत के सामने आम के पेड़ पर फांसी लगा ली़ अब बुधनी के बड़ पुत्र नवीन तिर्की (22) पर अपने भाई-बहनों की जिम्मेवारी आ गयी है. वह मजदूरी में लग गया है. उसका एक छोटा भाई मांगी तिर्की (13), दो बहनें गंगीया तिर्की (8) व कर्मी तिर्की (05) हैं. दोनों छोटी बहनें कक्षा तीन में सरकारी विद्यालय में पढ़ती है. इस परिवार में एक और सदस्य है. बुधनी की 70 वर्षीय वृद्ध सास बांधो तिर्की. बांधो बताती है कि बेटे को खोने के बाद मेरी बहू ही बुढ़ापे का सहारा थी. परिस्थिति को क्या मंजूर है, इन बच्चों का सहारा इस उम्र में मैं कैसे बनूं.किसान की स्थिति डूब गयी ढाई लाख की पूंजी बोकारो जिले के जीवनडीह गांव के कमलेश महतो की दो से ढाई लाख रुपये की पूंजी डूब गयी. कमलेश ने इस साल करीब 70 एकड़ जमीन पर धान की फसल लगायी थी. जुलाई माह में हुई अच्छी बारिश से कमलेश के चेहरे पर भी खुशी थी. अगस्त और सितंबर माह में मॉनसून के धोखा दे देने से करीब 95 फीसदी खेत सूख गये. फसल को बचाने के लिए आसपास के तालाब से सिंचाई कर रहे थे. अब तो तालाब भी सूख गये हैं. अब सिंचाई की कोई व्यवस्था भी नहीं बची है. कमलेश कहते हैं : अब तो बची-खूची फसल भी नष्ट हो जायेगी. धान की फसल शुरू में तेजी से बढ़ी, लेेकिन पानी नहीं मिलने के कारण वृद्धि ही रुक गयी. पीली पड़ने लगी. अब तो जमीन में भी बड़ी-बड़ी दरार पड़ गयी है. कमलेश का कहना कि काफी मुश्किल से पैसे जमा कर खेती में लगाया था. अब क्या होगा नहीं पता. परिवार पालने का संकट हो गया है. इंट्रो सितंबर माह में वर्षा नहीं होने के कारण झारखंड के खेत सूख रहे हैं. जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां धान की फसल मर चुकी है. इससे राज्य के कई हिस्सों में सूखे की आशंका बढ़ गयी है. जून-जुलाई में अच्छी वर्षा से किसानों को जो उम्मीद जगी थी, वह खत्म हो चुकी है. सितंबर में गढ़वा में 16.6%, पलामू में 19.8%, बोकारो में 15.6%, कोडरमा में 20.3% और लोहरदगा में सिर्फ 22.8% ही बारिश हुई है. किसान निराश हो चुके हैं. मनोहरपुर में फसल नष्ट होने और कर्ज नहीं चुकाने के दबाव में एक महिला ने हाल ही में आत्महत्या कर ली है. सरकार की ओर से अभी तक किसानों के लिए किसी प्रकार की राहत की कोई घोषणा नहीं की गयी है. जून-सितंबर के बारिश के सरकारी आंकड़े भले ही कुछ कहे, लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि फसल खराब हो चुकी है.वरीय संवाददाता रांची : झारखंड में एक बार फिर सूखे की आशंका बढ़ गयी है़ अगस्त और सितंबर माह में बारिश ही नहीं हुई़ खेतों में लगी धान की फसल सूख रही है. अगस्त में तो सामान्य से थोड़ी कम बारिश हुई़ पर सितंबर में काफी कम बारिश रिकॉर्ड की गयी़ इसका सीधा असर खेतों पर पड़ा है़ खेतों में दरारें आ गयी हैं. फसल पूरी तरह से चौपट हो गयी है़ बारिश नहीं होने का ही असर है कि कई जिलों में तालाब अभी ही सूख गये हैं. कुओं का जलस्तर नीचे चला गया है. कृषि विभाग ने भी क्षति का आकलन शुरू कर दिया है. प्रारंभिक आकलन में करीब 25 से 30 फीसदी फसल को नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है. 156 मिमी कम बारिश सितंबर माह में राज्य में सामान्य बारिश 235 मिमी होनी चाहिए थी. पर 30 सितंबर तक मात्र 79 मिमी ही बारिश हुई. बीएयू से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार रांची और आसपास में मॉनसून में अब तक इतनी कम बारिश नहीं हुई थी. रांची और आसपास में जून से सितंबर तक औसतन 622 मिमी बारिश रिकाॅर्ड की गयी. सबसे कम बारिश गढ़वा जिले में रिकॉर्ड की गयी है़ यहां 34 मिमी बारिश ही रिकॉर्ड की गयी है़ बोकारो जिले में सितंबर में मात्र 36 मिमी बारिश हुई़ पलामू और बोकारो में 41 मिमी बारिश रिकाॅर्ड की गयी है़ राज्य में फसलों की सबसे खराब स्थिति पलामू प्रमंडल में है़ पलामू, गढ़वा और लातेहार में धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है़ कोडरमा और बोकारो में भी फसलें सूख गयी हैं.

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