गांव की आदिवासी महिला सुनीता देवी ने उन्हें कंदा गेठी दिखाया. कहा कि अनाज के अभाव में उसका परिवार कंदा गेठी ही खा रहा है. इस पर युवा नेता श्री नामधारी ने कहा कि यह स्थिति तब है जब राज्य में भूख से मौत हो रही है. सरकार लगातार यह दावा कर रही है कि 2022 तक गरीबी मिटा दी जायेगी. लेकिन वास्तविक स्थिति क्या है उसे सगरदीनवा गांव में जाकर देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि विकास का ढिंढोरा तो तामझाम के साथ पीटा जा रहा है. लेकिन हकीकत यही है कि आज भी जरूरतमंदों तक विकास नहीं पहुंच रहा है. ऐसे शासन प्रशासन में बैठे लोगों को चाहिए कि सगरदीनवा जैसे गांव का दौरा कर जमीनी हकीकत का पता करें. केवल कार्यालय में बैठकर रिपोर्ट देने से स्थिति में बदलाव नहीं होगा.
श्री नामधारी ने सगरदीनवा गांव के आदिवासी परिवार को आश्वास्त किया कि इस टोले की समस्या से वह पदाधिकारियों को अवगत करायेंगे. समस्या दूर हो इसके लिए सक्रियता के साथ पहल करेंगे. यदि शासन प्रशासन के लोग सचेत नहीं हुए तो सिमडेगा जैसी स्थिति पलामू में भी हो सकती है. यहां भी अनाज के अभाव में गरीबों की मौत भूख से हो सकती है. दौरे के क्रम में श्री नामधारी के साथ जमेदार सिंह, मनोज सिंह, सुनीता देवी, संजय सिंह, हरिहर सिंह, वृन्दा सिंह, अशोक सिंह, विश्वनाथ सिंह, मुखदेव चौधरी आदि शामिल थे.