मनरेगा : 14 पंचायतों में 3000 से अधिक योजनाएं हैं संचालित फोटो मनरेगा योजना में काम करते मजदूर किस्को. किस्को व पेशरार प्रखंड के ग्रामीण एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार देने के लिए चल रही मनरेगा योजना के तहत पिछले दो माह से मजदूरों को मजदूरी नहीं मिली है.इस कारण मजदूरों की हालत खराब है.नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मुख्य धारा से जोड़ने के उद्देश्य से लोगों को काम कराया जा रहा है.परंतु काम कर दो महीने से अधिक समय से मजदूरी भुगतान नहीं होने से लोग भटककर या तो पलायन को विवश हैं या किसी दूसरे रास्ते चुनने को. मनरेगा अधिनियम के तहत 15 दिन में भुगतान करने का नियम है. पर किस्को एवं पेशरार प्रखण्ड में नियम कानून की धज्जियां उड़ायी जा रही है.मजदूरी का भुगतान कब होगा, इसका कोई पता नहीं है. कार्य का भुगतान नहीं होने से योजना में ठेकेदारी को बढ़ावा मिल रहा है.मनरेगा मेठ या अन्य संलिप्त लोग अपनी पूंजी लगाकर जैसे-तैसे कार्य करवा कर अपने चहेते मजदूरों के नाम डिमांड कटा खानापूर्ति कर रहे हैं.किस्को व पेशरार प्रखण्ड के 14 पंचायतों में 3 हजार से अधिक योजनाएं संचालित हैं.अधिकांश योजनाएं टीसीबी, डोभा,बिरसा हरित योजना, मेड़बंदी, सिंचाई कूप व से जुड़ी हुई हैं.प्रखण्ड में मनरेगा मजदूर प्रखण्ड कर्मियों व अधिकारियों से उधार में पैसा की मांग जीवन यापन के लिए कर रहे हैं,लेकिन वहाँ भी उन्हें पैसा नहीं दी जा रही है.इससे मजदूरों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गयी है.
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