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झोला छाप डॉक्टरों के चंगुल में हैं लोहरदगा के मरीज
गोपी कुंवर लोहरदगा : लोहरदगा जिला में झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़कर लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. अमूमन हर सप्ताह ऐसे झोला छाप चिकित्सकों के चक्कर में पड़ कर एक मौत हो रही है. पिछले सप्ताह ही लोहरदगा प्रखंड के गुड़गांवा में एक युवक की मौत पतराटोली के एक झोला छाप डॉक्टर के […]
गोपी कुंवर
लोहरदगा : लोहरदगा जिला में झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़कर लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. अमूमन हर सप्ताह ऐसे झोला छाप चिकित्सकों के चक्कर में पड़ कर एक मौत हो रही है. पिछले सप्ताह ही लोहरदगा प्रखंड के गुड़गांवा में एक युवक की मौत पतराटोली के एक झोला छाप डॉक्टर के इलाज से हो गयी.
उसकी मौत के बाद ग्रामीणों ने उसकी जम कर पिटाई की एवं मोटरसाइकिल भी छीन ली. इसी तरह का मामला पिछले सप्ताह किस्को प्रखंड क्षेत्र में हुआ, जहां एक व्यक्ति की मौत गलत इलाज से हो गयी. अपने को डॉक्टर बताने वाले ऐसे लोग मैट्रिक पास भी नहीं हैं, लेकिन खुद को सबसे ज्यादा जानकार बता कर भोले-भाले ग्रामीणों को अपना शिकार बना लेते हैं. लोहरदगा जिला के कई हिस्से में ऐसे लोग फैले हैं.
नर्सिंग होम भी बना लिये हैं और वहां बाहर के किसी चिकित्सक के नाम का बोर्ड लगा कर खुद सर्जन बन बैठे हैं. बाहर के चिकित्सक ऐसे झोला छाप चिकित्सकों के लिए गॉड फादर बन गये हैं. उनके नाम के एवज में उन्हें प्रतिमाह मोटी रकम भी दी जाती है.
पिछले दिनों हुई पड़ताल के बाद ऐसे झोला छाप चिकित्सकों ने स्वास्थ्य विभाग से अपने गाॅड फादर के नाम का इस्तेमाल कर पंजीकरण करवा रखा है. अब इन्हें दो नंबर का धंधा करने का अप्रत्यक्ष लाइसेंस भी प्राप्त है. दवा भी इन्हीं का और इलाज भी इनका ही हो रहा है. दवाइयों की गुणवत्ता की बात करना भी बेइमानी होगी. इसके अलावा गांव व देहातों में मोटरसाइकिल से घूम-घूम कर लोगों का इलाज करने वालों की संख्या भी बढ़ी है. चौक-चौराहों पर सुला कर पानी चढ़ा देना, कहीं भी ऑपरेशन कर देना इनकी दिनचर्या में शामिल है.
किस दवा का क्या प्रभाव है, उसकी जानकारी भी इन्हें नहीं है, लेकिन वैसे दवाओं का धड़ल्ले से इस्तेमाल इनके द्वारा किया जाता है. भोले-भाले ग्रामीणों से मोटी रकम वसूल कर ये लोग उन्हें चूना लगा रहे हैं. जब मरीज की मौत हो जाती है, तो वे कुछ दिनों तक क्षेत्र में नजर नहीं आते हैं और यदि पकड़े भी गये, तो कहते हैं कि आपने मरीज को हमें दिखाने में काफी देर कर दी थी. यदि हल्का बुखार भी है, तो मलेरिया व टायफड की दवा उन्हें दे दी जा रही है.
कार्रवाई नहीं होने से मनोबल बढ़ा
लोहरदगा में किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होने से ऐसे लोगों का मनोबल बढ़ता जा रहा है. हार्ट और किडनी के सफल इलाज के दावा का बोर्ड जगह-जगह लगाये गये हैं, जबकि हार्ट और किडनी के विशेषज्ञ वहां नहीं हैं. इसी तरह शहरी क्षेत्र में दर्जन भर से अधिक झोला छाप चिकित्सक बोर्ड लगा कर लोगों का इलाज कर रहे हैं. ये लोग कई तरह के ऑपरेशन भी कर रहे हैं. अधिकतर केस खराब होता है. मेडिकल का कचरा भी इन लोगों द्वारा आसपास फेंक दिया जाता है.
लोगों का जागरूक होना जरूरी : डॉ विद्या
स्टेट नॉडल ऑफिसर डॉ विद्या गुप्ता से जब झोला छाप डॉक्टरों के संबंध में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे, तब तक ऐसे लोग फलते फूलते रहेंगे. सिविल सर्जन ऐसे लोगों पर कार्रवाई करेंगे. ग्रामीणों को भी जागरूक होना होगा. सरकार इतनी सुविधाएं दे रही है, उसका लाभ लोग लें. झोला छाप के चक्कर में न पड़े.
कार्रवाई होगी : सीएस
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ पैट्रिक टेटे से पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें भी जानकारी है कि पिछले कुछ समय से झोलाछाप चिकित्सक लोगों का इलाज कर रहे हैं. जिनका पंजीकरण स्वास्थ्य विभाग में नहीं है. वे इलाज करते हैं, तो ये गलत है, उनपर कार्रवाई होगी. कुछ लोग तो एमबीबीएस चिकित्सकों के नाम पर अपने क्लिनिकों का रजिस्ट्रेशन करा लिये हैं. इसकी जांच की जायेगी और वैसे लोगों को पकड़ा जायेगा.
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