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अब नहीं सहेंगे अत्याचार

लोहरदगा : उग्रवाद के खिलाफ पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस के नेतृत्व में विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत उग्रवादियों की करतूतों को ग्रामीणों को बताया जा रहा है. उग्रवाद से होने वाले नुकसान से भी उन्हें अवगत कराया जा रहा है. ग्रामीणों पर इसका सकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा है. एसपी कार्तिक एस […]

लोहरदगा : उग्रवाद के खिलाफ पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस के नेतृत्व में विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत उग्रवादियों की करतूतों को ग्रामीणों को बताया जा रहा है. उग्रवाद से होने वाले नुकसान से भी उन्हें अवगत कराया जा रहा है. ग्रामीणों पर इसका सकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा है.

एसपी कार्तिक एस का कहना है कि गरीबों ओर बेकसूरों का खून बहा कर ये समाज में कैसा बदलाव लाना चाहते हैं. गांव के बच्चों को माओवादी दवाब डाल कर अपने दस्ता में शामिल करते हैं, जबकि माओवादी अपने बच्चों को अच्छे से अच्छा स्कूल में पढ़ाते हैं. अब वक्त आ गया है, इसका विरोध किया जाये. ग्रामीणों ने पुलिस अधिकारी की बातों को ध्यान से सुना और लोगों ने खुद अपने हाथों से गांव की दीवारों पर वांटेड उग्रवादियों एवं उनपर रखे गये इनाम वाला पोस्टर चिपकाया. ग्रामीणों ने कहा कि अब बहुत हुआ, अब और नहीं सहेंगे.

उग्रवादियों का विरोध किया जायेगा. पिछले एक सप्ताह से जारी इस अभियान का व्यापक प्रभाव ग्रामीणों पर पड़ा है. लोहरदगा जिला के घोर उग्रवाद प्रभावित पेशरार प्रखंड में पुलिस ने विशेष रूप से अभियान चलाया और ग्रामीणों को जागरूक किया. पेशरार प्रखंड क्षेत्र जोड़ा अंबा, जावाखाड़, पेशरार, पुतरार, चैनपुर, केरार, होन्हे व मदनपुर सहित अन्य गांवों में ग्रामीणों के साथ बैठक की गयी. बैठक में हर उम्र के लोग मौजूद थे. लोगों ने प्रण लिया कि अब वे लोग उग्रवादियों का साथ नहीं देंगे. अपने क्षेत्र के विकास एवं अपने बच्चों के भविष्य को संवारने पर ही अपनी ताकत लगायेंगे.

ग्रामीणों ने स्वीकार किया कि उग्रवादी गतिविधियों के कारण ही उनका इलाका पिछड़ा हुआ है. यदि यहां उग्रवादियों का खौफ और वर्चस्व नहीं होता, तो यहां भी सड़क, बिजली व पानी जैसी तमाम सुविधाएं मौजूद होती. उनके बच्चे बेहतर स्कूलों में पढ़ते. लेकिन उग्रवाद के कारण आज कितनों के घर उजड़ गये हैं. लोगों ने कहा कि अब अन्याय नहीं सहेंगे. एसपी कार्तिक एस का कहना है कि जब तक सारा समाज उग्रवाद के खिलाफ नहीं खड़ा होगा, तब तक इसका खात्मा जल्दी नहीं हो सकता है. ग्रामीण जागरूक होंगे, तो निश्चित रूप से उग्रवादियों की हरकत कम होगी. उग्रवाद उसी क्षेत्र में पनपता है, जहां के लोग जागरूक नहीं होते हैं.

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