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आंदोलन के लिए बाध्य कर रही है सरकार
समाहरणालय मैदान में आदिवासी समन्वय समिति का धरना षड्यंत्र के तहत जमीन छीनने का प्रयास लोहरदगा : आदिवासी समन्वय समिति के तत्वावधान में विष्णु उरांव की अध्यक्षता में समाहरणालय मैदान में धरना दिया गया. मौके पर वक्ताओं ने कहा कि आंदोलन का ही नतीजा है कि 1908 में सीएनटी एक्ट तथा 1949 में एसपीटी एक्ट […]
समाहरणालय मैदान में आदिवासी समन्वय समिति का धरना
षड्यंत्र के तहत जमीन छीनने का प्रयास
लोहरदगा : आदिवासी समन्वय समिति के तत्वावधान में विष्णु उरांव की अध्यक्षता में समाहरणालय मैदान में धरना दिया गया. मौके पर वक्ताओं ने कहा कि आंदोलन का ही नतीजा है कि 1908 में सीएनटी एक्ट तथा 1949 में एसपीटी एक्ट कानून बना, जो आदिवासी समाज की सुरक्षा के रूप में उभर कर सामने आया. झारखंड सरकार अध्यादेश लाकर इसमें संशोधन कर दिया, जो आदिवासी समुदाय के लिए काला कानून है.
सरकार आदिवासी समाज को बिरसा मुंडा, चांद भैरव, सिदो-कान्हू, जतरा टाना भगत, वीर बुधु भगत की कुरबानी को याद करते हुए आंदोलन करने के लिए प्रेरित कर रही है. वक्ताओं ने कहा कि झारखंड सरकार षड़यंत्र के तहत आदिवासी जमीन को बाहरी लोगों के हाथों उद्योग के बहाने हस्तांतरण करेगी, जिसे यहां विस्थापन जैसी समस्या उत्पन्न होगी. अपने अस्तित्व एवं संस्कृति को बचाये रखने के लिए आदिवासी समाज पुरजोर आंदोलन करेगा. कहा गया कि सरकार की स्थानीय नीति से आदिवासी समाज को नुकसान है.
सरकार द्वारा परिभाषित स्थानीय नीति यहां के मूलवासी एवं आदिवासी के साथ खिलवाड़ है. मंच का संचालन सोमदेव उरांव ने, जबकि धन्यवाद ज्ञापन विनय उरांव ने किया. मौके पर विनोद भगत, चंद्रदेव उरांव, गौतम उरांव,लूथर कुजूर, संजय टोप्पो, सोमे उरांव, सोमदेव उरांव, वीरेंद्र उरांव, बालमुकुंद लोहरा, उदय उरांव, प्रकाश उरांव, सुखदेव उरांव, जगेश्वर उरांव, विनोद खेरवार, बालमुनी उरांव, चैतू उरांव, फुलदेव उरांव, पहनु उरांव, एतो उरांव व अमर उरांव सहित बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद थीं.
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