फोटो- एलडीजीए-2 शहर में जाम की स्थिति.लोहरदगा. चुनाव में हर बार तरह-तरह के दावे किये जाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद नेता जनता से किये वादे भूल जाते हैं. बॉक्साइट नगरी के रुप में अपनी पहचान बनानेवाला लोहरदगा जिला में एक बाइपास सड़क नहीं है. जिसके कारण आये दिन सड़क जाम की समस्या उत्पन्न होती है. शहर से ही तमाम छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं. आये दिन दुर्घटनाएं होती है. लोगों की परेशानियों से नेताओं को कोई सरोकार चुनाव के बाद नहीं रहता है. लोहरदगा में 2005 में बाइपास सड़क निर्माण का शिलान्यास किया गया था. 2 करोड़ 5 लाख रुपये की लागत से बननेवाले इस सड़क का काम भी शुरू हो गया था लेकिन संवेदक ने 46 लाख रुपये निकालने के बाद इस काम को अधूरा छोड़ दिया. संवेदक ने काम अधूरा छोड़ने के पीछे तर्क यह दिया कि सड़क निर्माण के प्राक्कलन में त्रुटियां थी. मामला न्यायालय तक पहुंचा और यहां बाइपास सड़क का निर्माण 10 वर्षो के बाद भी पूरा नहीं हो सका. यह एक उदाहरण काफी है, यहां के नेताओं की कार्यशैली को पहचानने के लिए. यदि यहां के जनप्रतिनिधि चाहते तो निश्चित रुप से इस सड़क का निर्माण कार्य पूरा हो गया होता, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कहां जनता और कहां समस्यायें ?
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::3:::: कभी चुनावी वादा पूरे नहीं करते नेता
फोटो- एलडीजीए-2 शहर में जाम की स्थिति.लोहरदगा. चुनाव में हर बार तरह-तरह के दावे किये जाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद नेता जनता से किये वादे भूल जाते हैं. बॉक्साइट नगरी के रुप में अपनी पहचान बनानेवाला लोहरदगा जिला में एक बाइपास सड़क नहीं है. जिसके कारण आये दिन सड़क जाम की समस्या उत्पन्न […]
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