गोपी कुंवर,दुर्जय पासवान
लोहरदगा : लोहरदगा लोकसभा संसदीय क्षेत्र में लोहरदगा, गुमला और रांची जिला (मांडर विस क्षेत्र का कुछ हिस्सा) का कुछ हिस्सा आता है. गुमला जिले की मुख्य समस्या बाइपास सड़क का नहीं होना है. यह वर्तमान सांसद के प्रयास से ही शुरू हुआ है, लेकिन पूरा नहीं हो पाया. 12.8 किमी सड़क 66.89 करोड़ रुपये की लागत से बन रही है. सरकार ने अप्रैल 2018 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा था. बाइपास सड़क नहीं रहने के कारण गुमला शहर की 51 हजार आबादी को जाम की समस्या झेलनी पड़ रही है. गुमला शहरी क्षेत्र नेशनल हाइवे-43 व 78 के किनारे अवस्थित है.
सभी बड़ी गाड़ी शहर से होकर गुजरती है. जिससे आये दिन हादसे हो रहे हैं और लोगों की मौत हो रही है. बाइपास के अलावा जीएनएम कॉलेज व मत्स्य कॉलेज का शुरू नहीं होने से भी गुमला के विद्यार्थी परेशान है. नर्सिंग की ट्रेनिंग व डिग्री के लिए छात्रों को रांची या फिर दूसरे राज्य जाना पड़ता है. जशपुर रोड में बना मत्स्य कॉलेज चालू नहीं हुआ है. कॉलेज के नाम से बना भवन अब बेकार होने लगा है.
किसानों को औने पौने बेचना पड़ता है फसल
लोहरदगा जिला कृषि प्रधान है और यहां की अधिसंख्य आबादी खेतीबारी पर निर्भर है. आज भी यहां से प्रतिदिन लगभग पांच ट्रक सब्जियां दूसरे राज्यों में भेजी जाती है. किसान काफी मेहनत कर के सब्जी उपजाते हैं.
जब सब्जी बाहर नहीं जाती है, तो उनको रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज नहीं है. ऐसे में किसानों को अपने उत्पाद औने पौने दाम में बेचना पड़ता है. 17 मई 1983 को लोहरदगा जिला बना था. यहां के कई सांसद केंद्र में मंत्री रहे हैं, किसान परिवार से ही ताल्लुक रखते हैं. सेन्हा प्रखंड के हुंदी गांव निवासी किसान राजेंद्र उरांव का कहना है कि कोल्ड स्टोरेज की स्थापना नहीं होने से किसानों को परेशानी हो रही है.
रेलवे के नक्शे पर जल्द दिखेगा गुमला
गुमला जिला जल्द ही रेलवे के नक्शे पर दिखने लगेगा. यहां रेलवे लाने का प्रयास वर्तमान सरकार में किया गया. इसके लिए सर्वे का काम भी शुरू हो गया है. इस जिले में सड़कों का काम भी तेजी से हुआ है. एनएच के निर्माण होने से इस लोकसभा क्षेत्र में आवागमन की सुविधा बढ़ी है.
आसपास के कई राज्यों से संपर्क बढ़ रहा है. इससे आनेवाले वर्षों में व्यापार का बड़ा केंद्र विकसित करने का प्रयास हो रहा है. चालू सरकार के कार्यकाल में लोहरदगा जिले में केंद्रीय विद्यालय के निर्माण के लिए शिलान्यास किया गया. लोहरदगा-टोरी लाइन का विद्युतीकरण किया गया. महुआडांड़ होते हुए डुमरी-राजपुर पथ को एनएच का दरजा दिलाया गया.