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आदिवासी समाज प्रकृति का सबसे बड़ा उपासक : विधायक
भंडरा : प्रकृति हमें जीवन देती है. प्रकृति के विपरीत हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते है. प्रकृति हमें जो अनमोल जीवन देती है, हम मनुष्य समय समय पर प्रकृति की पूजा अर्चना कर आभार प्रकट करते है. जिससे प्रकृति कि कृपा हम सभी मनुष्यों पर रहे. प्रकृति के प्रकोप हम पर नहीं […]
भंडरा : प्रकृति हमें जीवन देती है. प्रकृति के विपरीत हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते है. प्रकृति हमें जो अनमोल जीवन देती है, हम मनुष्य समय समय पर प्रकृति की पूजा अर्चना कर आभार प्रकट करते है. जिससे प्रकृति कि कृपा हम सभी मनुष्यों पर रहे. प्रकृति के प्रकोप हम पर नहीं पड़े, इसके लिए पूजा अर्चना करते है. आदिवासी समाज प्राकृति के सबसे बड़े उपासक होता है. करमा, सरहुल सहित अन्य कई मौके पर प्रकृति की पूजा की जाती है.
उक्त बातें बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा ने भंडरा में आयोजित करम पूर्व संध्या समारोह को संबोधित करते हुए कहा. मौके पर अन्य वक्ताओ ने करमा पूर्व संध्या को संबोधित किया. समारोह में भौरो,मलंगटोली, अरको, पतराटोली, सोरांदा, बलसोता, नवडीहा, मकुन्दा, नगड़ी, कसपुर, अम्बेरा, टोटो, मसमनो, उदरंगी, जामुन टोली, भैसमुंडो, नवटोलिया, बेमारी, बेदाल, पझरी, बिटपी, धनामुन्जी, सेमरा, गदरपो, पोढा, सहित अन्य गांव के आदिवासी पारंपरिक भेष भूषा में मांदर, नगाड़ा, घंट बजाते हुए शामिल हुए, सभी गांव के अखाड़ों द्वारा करमा पूजा की झांकी प्रस्तुत की गयी. आकर्षक झांकी को आयोजन समिति द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. मौके पर शिवराम कच्छप, सुखदेव उरांव, सुकरा उरांव, जिला परिषद अध्यक्ष सुनैना कुमारी, उप प्रमुख रंजीत भगत, अध्यक्ष रामचन्द्र उरांव, चन्दर बगवार, सोमरा उरांव, मिठू उरांव, एतवा उरांव, रामविलाश उरांव सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे.
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