– अजीत मिश्र –
मेदिनीनगर : पलामू में अकाल की स्थिति बन रही है. आंकड़ों पर गौर करें तो इस आशंका को बल भी मिल रहा है. जानकार बताते हैं कि 1966-67 के अकाल के दौरान भी ऐसी स्थिति नहीं थी.
उस वक्त धान की रोपनी नहीं हुई थी, लेकिन मकई की खेती हुई थी. मगर इस बार मकई की फसल पर भी ग्रहण लग गया है. खेत में लगे मकई के पौधे पानी के अभाव में सूख रहे हैं.
अपेक्षित वर्षा नहीं होने के कारण पौधों में कई तरह के रोग भी लग रहे हैं. आंकड़ा बता रहा है कि जुलाई में सामान्य वर्षापात से भी काफी कम बारिश हुई है. जुलाई माह में सामान्य वर्षापात 344.7 मिमी है, लेकिन अभी तक पलामू में 80.8 मिमी बारिश हुई है.
जो सामान्य से 263.9 मिमी कम है. जुलाई माह में वर्षापात की ऐसी स्थिति पिछले 10 वर्षो में नहीं बनी थी. 10 वर्ष के आंकड़े बता रहे हैं कि जुलाई माह में सबसे कम बारिश 2004 में हुई थी, तब वर्षापात 136.4 मिमी रिकार्ड किया गया था. मौसम वैज्ञानिक की मानें तो 25 जुलाई तक बारिश होने की संभावना नहीं है. बारिश के अभाव में धान के बिचड़े सूख रहे हैं.
2012 में अब तक 25-30 प्रतिशत धान की रोपनी हुई थी, पर इस वर्ष मात्र दो प्रतिशत हुई है. वह भी हुसैनाबाद इलाके में, जो नहरी क्षेत्र है. बारिश के दिनों में भी कम वर्षापात से किसानों में निराश घर कर रही है. वे सरकारी सहायता की आस में है.