मामाला मनिका के सेमरहट टोला में दो बच्चों की नृशंस हत्या का
लातेहार : मनिका के सेमरहट टोला में दो बच्चों की नृशंस हत्या के बाद गांव के लोगों का जीवन पूरी तरह सामान्य नहीं हो सका है. लोगों के चेहरे पर गम और गुस्से का भाव है. गांव में घटना के 48 घंटे बाद मृत दोनों बच्चों के घर में चूल्हा भी नहीं जला. आसपास के लोगों ने दोनों परिवार के अन्य बच्चों को खाना खिलाया. शुक्रवार को सेमरहट टोला में जगह-जगह गांव के लोग इस घटना की चर्चा कर रहे थे.
सभी के आखों में बच्चों के प्रति संवेदना और आरोपी सुनील उरांव के प्रति क्रोध दिखायी पड़ रही थी. सुबह से ही लोग सुनील के घर के पास जमा थे और गांव की स्थिति पर चर्चा कर रहे थे. गांव के महिला-पुरुष सभी इस घटना के बारे में सोच कर सिहर जाते हैं. शुक्रवार को राजमर्रा के कामकाज में भी लोगों ने अपना समय नहीं दिया.
गांव में प्राय: देखा जाता है कि अहले सुबह ही जानवरों को चरने के लिए खोल दिया जाता है. गांव में 12 बजे तक सभी गांव वालों के जानवर बंधे हुए थे. किसी को जानवरों की सुध नहीं थी. गांव के विद्यालय में मुखिया के कहने के बाद शोक व्यक्त करने के बाद बच्चों को छुट्टी दे दी गयी. बच्चों के लिए बनाये गये मध्याह्ण भोजन को दो दिन से ड्यूटी कर रहे पुलिस के जवानों को खिला दिया गया.
वहीं आंगनबाड़ी केंद्र में 72 बच्चे नामांकित हैं लेकिन एक भी बच्चे नहीं पहुंचे. आंगनबाड़ी सेविका कौशल्या देवी ने बताया कि गांव में घटना घटने के बाद शुक्रवार को एक भी बच्चे केंद्र नहीं पहुंचे. केंद्र में बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ पौष्टिक आहार भी दिया जाता है.
शीला का नहीं मिला सिर
मृतक निर्मल उरांव सर सुनील उरांव के घर के पीछे बालू में जमीन के अंदर खोद कर छिपाया गया था, जिसे गांव वालों की मदद से पुलिस ने निकाल लिया. लेकिन शीला का सर अभी तक नहीं मिला है. गांव के लोगों ने दोनों शवों को हिन्दू परंपरा के अनुसार दफना दिया. वहीं शीला का सर नहीं मिलने से गांव के लोग और उसके परिवार के सदस्य काफी चिंतित हैं. हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार पूरे शरीर को दफन करने की परंपरा है. गांव के लोग इस बात पर भी गहनता से चर्चा कर रहे थे. सेमरहट विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजेंद्र कुमार कनौजिया ने बताया कि निर्मल नौ जुलाई तक विद्यालय आया है. निर्मल अपने वर्ग का प्रतिभावान छात्र था.