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दामन पर लगे दाग को धोने में पुलिस कामयाब

गिरफ्तारी नहीं होने पर पुलिस की कार्यशैली पर उठने लगे थे सवाल बिहार एसटीएफ की टीम ने की थी छापामारी विकास कोडरमा : बिहार के सीमावर्ती इलाके में स्थित कोडरमा जिला वैसे तो अभ्रक व बाद में क्रशर व्यवसाय को लेकर पहचान बना रहा था, पर हाल के महीनों में अवैध अंगरेजी शराब की बरामदगी […]

गिरफ्तारी नहीं होने पर पुलिस की कार्यशैली पर उठने लगे थे सवाल
बिहार एसटीएफ की टीम ने की थी छापामारी
विकास
कोडरमा : बिहार के सीमावर्ती इलाके में स्थित कोडरमा जिला वैसे तो अभ्रक व बाद में क्रशर व्यवसाय को लेकर पहचान बना रहा था, पर हाल के महीनों में अवैध अंगरेजी शराब की बरामदगी ने यहां की फिजां बदल दी थी. कोडरमा के विभिन्न इलाकों से लगातार अवैध शराब की खेप बिहार सप्लाई किये जाने की सूचना पर वहां की एसटीएफ व पुलिस ने सख्ती बढ़ायी, तो बड़े शराब नेटवर्क का खुलासा हुआ था. बिहार एसटीएफ की ओर से 14 जनवरी की रात नवादा बस्ती, कोरियाडीह व बंगाली मोहल्ला में की गयी छापामारी के बाद बरामद 1489 पेटी शराब के मामले में कोडरमा पुलिस की खूब किरकिरी हुई. बिहार पुलिस की सर्जिकल स्ट्राइक ने यहां की पुलिस सिस्टम की पोल खोल कर रख दी थी.
पुलिस ने इस पूरे गोरखधंधे में मुख्य आरोपी के रूप में आजसू नेता संजय यादव को चिह्नित किया, तो शराब का मामला और हाई लाइट हो गया. सत्ताधारी दल के गठबंधन में शामिल पार्टी के नेता का नाम आने पर पुलिस पर दबाव की चर्चा थी. नये एसपी एसके झा के आने के बाद इस मामले में नया मोड़ आता दिखा. मुख्य आरोपी संजय यादव की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने कुछ हद तक अपने दामन पर लगे दाग को धोने का प्रयास किया है.
या यूं कहे पुलिस ने लगातार दबाव बढ़ा कर संजय यादव की गिरफ्तारी की, तो राहत की सांस भी पुलिस पदाधिकारियों ने ली. गिरफ्तारी नहीं होने पर पुलिस सिस्टम पर सवाल उठने लगे थे. हालांकि मामला दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी वारंट निर्गत हुआ और बीते 18 फरवरी को पुलिस ने अदालत से प्राप्त
इश्तेहार को संजय यादव के नवादा बस्ती स्थित आवास व अन्य आरोपियों के घरों पर चिपकाया. इसके बाद से संजय यादव की गिरफ्तारी को लेकर और दबाव बढ़ा था. शनिवार को संजय यादव द्वारा अदालत में आत्मसमर्पण किये जाने की सूचना तेजी से फैली, पर देर शाम तक आत्मसमर्पण नहीं हुआ. शनिवार को ही तिलैया में आजसू का जिला सम्मलेन आयोजित था. इसमें पार्टी के सुप्रीमो सह पूर्व उप मुख्य मंत्री सुदेश महतो शामिल हुए. उन्होंने बातचीत में सरकार द्वारा शराब बेचे जाने की तैयारी पर सवाल उठाया, पर अपने ही दल के विधानसभा प्रभारी पर इस तरह के आरोप पर कुछ नहीं बोले.
बरामद कार की होगी जांच
संजय यादव जिस स्वीफ्ट कार नंबर आरजे-4004-9481 के साथ गिरफ्तार किया गया. इस कार के सत्यापान को लेकर पुलिस जांच करेगी. चूंकि कार का नंबर राजस्थान का है. ऐसे में पुलिस को इस कार नंबर पर संदेह है. इससे पूर्व पुलिस ने 14 जनवरी को जब्त वाहनों में ट्रक नंबर (सीजे-04जे-8664), 407 ट्रक नंबर (जेएच-12एफ-7693), बोलेरो पिकअप वैन नंबर (बीआर-27एफ-9224) का सत्यापन कर चुकी है. इसमें ट्रक व पिकअप वैन का नंबर फरजी मिला है. हालांकि 407 ट्रक राजेश यादव का बताया गया.
नकली शराब फैक्टरी के संचालन में आ चुका है नाम
आजसू नेता संजय यादव का नाम नकली शराब फैक्टरी के संचालन में पूर्व में आ चुका है. 29 अगस्त 2016 में कोडरमा के डीसी संजीव कुमार बेसरा के निर्देश पर प्रशासनिक टीम ने डोमचांच के जंगली इलाका ढोढाकोला में संचालित शराब फैक्टरी का भंडा फोड़ किया था. इस दौरान भारी मात्रा में नकली शराब, खाली रैपर, कार्टून जब्त किया गया था, जबकि एक युवक की गिरफ्तारी हुई थी. हालांकि प्रशासन की टीम मशीन को जब्त कर नहीं ला पायी थी. शुरुआत में उत्पाद विभाग की ओर से दर्ज मामले में गिरफ्तार युवक व अन्य अज्ञात पर मामला दर्ज हुआ. लेकिन अनुंसधान के बाद अदालत में दी गयी रिपोर्ट में संजय यादव का नाम उक्त फैक्टरी के संचालकर्ता के रूप में जोड़ा गया है. यह मामला भी अदालत में चल रहा है.
सही से हुई पूछताछ, तो कई होंगे बेनकाब
गिरफ्तार संजय यादव से अगर पुलिस की पूछताछ सही से होती है, तो इसमें कई सफेदपोश लोगों के साथ ही सिस्टम के कुछ लोग भी बेनकाब हो सकते हैं. जिले में पूर्व में भी यह चर्चा रही है कि अवैध शराब का गोरखधंधा बिना मिलीभगत के संभव नहीं था. यही कारण था कि हजारों पेटी शराब तिलैया थाना से महज कुछ दूरी पर लाकर रखाजाता था और पुलिस अनभिज्ञ बनी रहती थी. बिहार एसटीएफ की कार्रवाई के बाद स्थानीय पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठे थे.
लपेटे में पुलिस के बड़े पदाधिकारी भी आये, लेकिन पूरा खुलासा नहीं हो सका. एसपी बदले, तो नये एसपी आ गये. नये एसपी के आने के बाद पुलिस ने सख्ती बढ़ा दी. यहां तक की मामले के सुपरविजन अफसर तक बदल दिये गये. एसडीपीओ चंदेश्वर प्रसाद को सुपरविजन अफसर नहीं बना कर डीएसपी हेड क्वार्टर कर्मपाल उरांव को सुपरविजन सौंपा गया. कांड के अनुसंधानकर्ता तक बदले गये. ऐसे में अगर आनेवाले समय में रिमांड पर लेकर पुलिस की सही से पूछताछ होती है, तो कई नाम सामने आ सकते हैं. हालांकि, इसकी संभावना कम दिखती है.
हथियार को लेकर स्पष्ट कुछ नहीं बताया
गिरफ्तारी के बाद संजय यादव से पुलिस ने हथियार के संबंध में भी पूछताछ की. पुलिस सूत्र बताते हैं की इस दौरान उसने कुछ भी स्पष्ट बताने से इनकार कर दिया. कहा, कि समय आने पर बताया जायेगा. ज्ञात हो कि बिहार एसटीएफ जब तिलैया में छापामारी करने पहुंची थी, तो नवादा बस्ती स्थित आवास पर एके 47 होने की जानकारी थी, लेकिन स्थानीय पुलिस का सहयोग नहीं मिलने के कारण टीम अंदर नहीं जा सकी थी.

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