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राजमहल के लावा से खुलेगी भविष्य की राह

दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे मैक्सिको, लखनऊ विश्वविद्यालय के भू-वैज्ञानिक जांच हुई पूरी, तो न सिर्फ पादप, बल्कि पशु व मानव के भी मिल सकते हैं जीवाश्म 12 करोड़ वर्ष पहले 14 बार हुआ था ज्वालामुखी विस्फोट जीवेश रांची साहेबगंज एक बार फिर विश्व पटल पर आ गया है. मैक्सिको के भू-वैज्ञानिकों ने लखनऊ विश्वविद्यालय […]

दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे मैक्सिको, लखनऊ विश्वविद्यालय के भू-वैज्ञानिक
जांच हुई पूरी, तो न सिर्फ पादप, बल्कि पशु व मानव के भी मिल सकते हैं जीवाश्म
12 करोड़ वर्ष पहले 14 बार हुआ था ज्वालामुखी विस्फोट
जीवेश
रांची
साहेबगंज एक बार फिर विश्व पटल पर आ गया है. मैक्सिको के भू-वैज्ञानिकों ने लखनऊ विश्वविद्यालय और साहेबगंज के भू-वैज्ञानिकों के साथ साहेबगंज में संयुक्त शोध शुरू किया है. अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान मैक्सिको के भू-वैज्ञानिक प्रो लॉइस अलवा वैलडिवा के नेतृत्व में टीम के सदस्यों ने जिले के चार प्रखंडों के 12 स्थानों से अग्नीय चट्टानों का सैंपल लिया.
अॉस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, अंटार्कटिका आदि जगहों से सैंपल लेने के बाद यहां आयी टीम के सदस्यों के अनुसार तीन वर्षीय इस प्रोजेक्ट के माध्यम से अतीत से लेकर भविष्य की जानकारी निकालने की तैयारी है.
प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने पर एक हजार साल बाद पृथ्वी के अंदर परिवर्तन के साथ-साथ मौसम में होनेवाले बदलाव की जानकारी मिलेगी. खास कर भविष्य में ज्वालामुखी की स्थिति क्या होगी इसकी भी सूचना मिलेगी.
कौन-कौन थे टीम में : नेशनल अॉटोनोमस यूनिवर्सिटी, मैक्सिको के प्रो लॉइस अलवा वैलडिवा व प्रो अमर अग्रवाल, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ के केके अग्रवाल, गौरव व जोशी तथा साहेबगंज महाविद्यालय के डॉ रणजीत सिंह.
कहां-कहां है उल्लेख : राजमहल हिल के ज्वालामुखी विस्फोट के कारण बनने का उल्लेख कई जगहों पर है. इंग्लैंड के भू-वैज्ञानिक अोलहम ने अपनी किताब में भी इसका जिक्र किया है. मेमोरीज अॉफ दि जियोलॉजिकल सर्वे अॉफ इंडिया में भी राजमहल हिल के संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध है.

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