झुमरीतिलैया : अब सजायाफ्ता सांसद व विधायक चुनाव लड़ पायेंगे और उनकी सदस्यता भी नहीं जायेगी. केंद्र सरकार के इस संबंध में अध्यादेश लाने के फैसले का विरोध जिले के बुद्धिजीवियों ने किया है.
लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है. एडवांटेज इंगलिश के निदेशक अजय अग्रवाल ने कहा कि यह अधिकारों के दुरुपयोग की पराकाष्ठा है.देश चलाने के लिए नेता नहीं, चरित्रवान नेता होना चाहिए.
इस अध्यादेश को राष्ट्रपति द्वारा खारिज कर देना चाहिए. जैन समाज की महिला शिल्पा पाटनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही है. यदि कोई प्रतिनिधि के खिलाफ कोर्ट का फैसला आता है, तो उसकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए. यदि सरकार अध्यादेश ला कर इसे रोकती है, तो देश के लिए यह दुर्भाग्य होगा.
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ नरेश पंडित ने कहा कि राजनीतिक स्वच्छ रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि दागी सांसदों की सदस्यता रद्द होनी चाहिए. उनके वेतन व पेंशन भी बंद होने चाहिए तथा चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा देना चाहिए.
इनरह्वील की अध्यक्षा ज्योति पुजारा ने कहा कि यह सही नहीं है. प्रो बीरेंद्र सिंह ने इसे राजनीतिक का अपराधीकरण करार देते हुए कहा कि इससे अपराधियों का मनोबल और बढ़ेगा. सीएस की छात्र प्रियंका सिंह ने कहा कि जिन पर देश चलाने और देश सुधारने का दायित्व है, यदि वही दागी होंगे तो देश में क्या सुधार होगा.
जेजे कॉलेज के प्रोफेसर निखत परवीन ने कहा कि देश की बागडोर जिनके हाथ में है, यदि वही भ्रष्टाचार और दागी होंगे तो वे देश को किस ओर ले जायेंगे. अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार अभय ने कहा कि इस फैसले सेकेंद्र सरकार का दोहरा चरित्र उजागर हुआ है. यह कानून आम और खास के फर्क को दर्शाता है.