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कोडरमा : प्रदेश राजद अध्यक्ष पद का त्याग कर भाजपा का दामन थामनेवाली पूर्व मंत्री अन्नपूर्णा देवी को कोडरमा लोकसभा से टिकट मिल गया. लंबे समय से टिकट को लेकर चल रही जिच के बाद भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अन्नपूर्णा के नाम का एलान किया तो लोग अब जीत-हार को लेकर समीकरण बैठाने लगे हैं.
राजनीतिक जानकारों के अनुसार भाजपा से टिकट प्राप्त कर अन्नपूर्णा ने पहला जंग जरूर जीत लिया है, पर जिस तरह टिकट को लेकर वर्तमान सांसद डॉ रवींद्र राय व अन्य दावेदार अंतिम समय तक डटे रहे, उससे भितरघात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. रवींद्र राय ने तो एक-दो दफे बकायदा सोशल मीडिया पर टिकट को लेकर अपनी राय जगजाहिर की.
यही नहीं भाजपा जिलाध्यक्ष रामचंद्र सिंह समेत कई मंच मोर्चा के नेताओं ने राष्ट्रीय नेतृत्व को पत्र लिख कर डॉ रवींद्र राय को ही टिकट दिये जाने पर जीत की गारंटी बतायी थी. अब जब डॉ राय की जगह अन्नपूर्णा को टिकट थमाया गया है, तो पार्टी संगठन के अंदर अलग तरह की चर्चा शुरू हो गयी है. अन्नपूर्णा के लिए सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के स्थानीय संगठन के साथ तालमेल बैठाने की होगी.
जो भाजपाई वर्षों तक राजद के शासन को कुशासन बताते हुए अन्नपूर्णा देवी का विरोध करते रहे, उन्हें अब अन्नपूर्णा के लिए भाजपा से प्रचार करना होगा. इस स्थिति में संगठन के अंदर नाराजगी व बिखराव भी देखने को मिल सकता है.
खराब रिपोर्ट कार्ड व सरकार से अलग राह ने कटवा दिया टिकट!
पांच साल तक कोडरमा के सांसद रहे डॉ रवींद्र राय का टिकट कटने को लेकर कई कारण बताये जा रहे हैं. सबसे बड़ा कारण अंतिम समय में बदली स्थितियां हैं. इसके अलावा खराब रिपोर्ट कार्ड व राज्य सरकार से कई मुद्दों पर अलग राय रखने को भी ठोस कारण माना जा रहा है.
पति रमेश यादव भी लड़े थे : एक ही लोकसभा सीट से पति-पत्नी दोनों के द्वारा सांसद का चुनाव लड़ने का संयोग कोडरमा में भी बनने जा रहा है. अन्नपूर्णा देवी जहां इस बार भाजपा की प्रत्याशी होंगी, वहीं उनके पति स्वर्गीय रमेश प्रसाद यादव 1996 में इसी सीट से जनता दल के प्रत्याशी थे.
हालांकि, उस समय उन्हें भाजपा के रीतलाल प्रसाद वर्मा से हार का सामना करना पड़ा था. रीतलाल वर्मा को जहां 243295 वोट मिले थे, वहीं रमेश यादव को 196341 वोट मिले थे. रमेश को तत्कालीन सांसद मुमताज अंसारी की जगह उम्मीदवार बनाया था. इसमें रमेश यादव को हार का सामना करना पड़ा.