झुमरीतिलैया : नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी पंकज झा लगातार विवादों में घिरते जा रहे हैं. कुछ दिन पहले गलत तरीके से आंतरिक संसाधन के पैसे से विदेश दौरा पर जाने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि नगर पर्षद उपाध्यक्ष संतोष यादव ने इओ पर एक और सनसनीखेज आरोप लगा है. आरोप है कि कार्यपालक पदाधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर आंतरिक संसाधन के पैसे का इस्तेमाल गलत रूप में कर रहे हैं. उन्होंने अपने पिता के नाम से लिये गये बोलेरो को हायर कर रखा है और इसे सरकारी ड्यूटी में उपयोग किये जाने के नाम पर प्रति माह 27 हजार रुपये बतौर किराया भुगतान ले रहे हैं.
यह कार्य करीब दो वर्ष से किया जा रहा है. संतोष यादव ने बुधवार को नगर पर्षद कार्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि कार्यपालक पदाधिकारी पिछले करीब दो वर्ष से एक भाड़े की बोलेरो वाहन (बीआर-10पी-7506) लेकर इसका इस्तेमाल स्वयं के लिए कर रहे हैं. बोलेरो पर उनके पदनाम का बोर्ड लगा है. इसका उपयोग कार्यालय के उपयोग के लिए बहुत कम और ज्यादातर अपने निजी कार्य में करते हैं. उक्त बोलेरो कार्यपालक के पिता शंभूनाथ झा जो बिहार के भागलपुर निवासी की है. नगर पर्षद के आंतरिक संसाधन मद से उक्त वाहन के भाड़े के रूप में प्रति माह 27 हजार रुपये और प्रतिदिन डीजल खर्च के नाम पर छह सौ रुपये का भुगतान कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा उनके ही हस्ताक्षर से जारी चेक के माध्यम से किया जा रहा है.
संतोष ने कहा कि अपने ब्लड रिलेशन को इस तरह अपने पद एवं सरकारी राशि का दुरुपयोग कर लाभ पहुंचाना सरकारी सेवक की आचार संहिता के खिलाफ है. साथ ही यह वाहन हायर करने के संबंध में सरकार के निर्देशों के भी खिलाफ और घोर वित्तीय अनियमितता और जनता के टैक्स के पैसे के दुरुपयोग का मामला है. उन्होंने कहा कि मैं करीब तीन वर्ष से बोर्ड में उपाध्यक्ष पद पर हूं और करीब दो वर्षों तक कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर भी रहा हूं, लेकिन कार्यपालक पदाधिकारी इस तरह गुपचुप तरीके से बोर्ड के आंतरिक संसाधन मद से निजी वाहन के लिए राशि ले रहे हैं, यह कभी भी मेरे संज्ञान में नहीं दिया गया.
यही नहीं किराये पर वाहन रखने और नगर पर्षद के आंतरिक संसाधन के मद से इसके भुगतान संबंधी कोई संचिका मेरे समक्ष लाया गया और न ही बोर्ड की बैठक में इसे कभी पारित कराया गया. यही नहीं वाहन हायर करने को लेकर ओपेल टेंडर की प्रक्रिया भी अपनायी नहीं गयी. संतोष ने कहा कि झुमरीतिलैया नगर पर्षद बोर्ड 2010 से अस्तित्व में है, पर इसके बाद इओ के पद पर रहे झारखंड प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी को भी सरकारी वाहन मुहैया नहीं कराया गया और न ही किसी ने भी इस तरह स्थायी तौर पर राशि का भुगतान कर वाहन हायर किया. उन्होंने कहा कि पूरे मामले को लेकर डीसी से लिखित शिकायत करते हुए जांच का अनुरोध किया गया है.