कोडरमा : जिले के मरकच्चो प्रखंड के नावाडीह पंचायत स्थित पीपराडीह पोखर के बगल में बिना गार्डवाल का निर्माण किये लाखों रुपये की निकासी कर लेने का मामला प्रकाश में आया है. सांसद अनुशंसा मद से कागजों में योजना को क्रियान्वित कर विभागीय मिलीभगत से करीब तीन लाख रुपये की निकासी कर गबन कर लेने का आरोप झाविमो नेताओं ने लगाया है.
योजना का क्रियान्वयन एनआरइपी द्वारा दिखाया गया है. पूरे मामले को लेकर झाविमो नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को उपायुक्त संजीव कुमार बेसरा से मुलाकात व मामले से अवगत कराया. प्रतिनिधिमंडल में शामिल झाविमो के केंद्रीय महासचिव खालिद खलील व जिला अध्यक्ष वेदू साव ने बताया कि पीपराडीह पोखर के बगल में गार्डवाल के निर्माण की अनुशंसा एक मार्च 2014 को तत्कालीन सांसद बाबूलाल मरांडी ने की थी. एनआरइपी द्वारा उक्त कार्य किया जाना था.
बाद में पूछने पर संबंधित विभाग के जेइ द्वारा बताया गया कि पैसा विभाग को वापस कर दिया गया है, लेकिन बाद में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गयी तो खुलासा हुआ कि योजना स्थल पर काम दिखा कर पैसे की निकासी की गयी है. इसके विपरीत हकीकत यह है कि योजना स्थल पर कोई कार्य नहीं किया गया है. बिना गार्डवाल का निर्माण किये करीब तीन लाख रुपये की निकासी फर्जी मापी पुस्तिका बनाकर कर ली गयी है.
आरटीआइ के तहत एनआरइपी के कार्यपालक अभियंता ने जो जानकारी दी है उसमें कहा गया है कि गार्डवाल निर्माण का कार्य विभागीय रूप से कनीय अभियंता रजनीकांत श्रीवास्तव द्वारा कराया गया है. झाविमो नेताओं द्वारा शिकायत किये जाने पर डीसी ने पूरे मामले की जांच करा कर कार्रवाई करने की बात कही. मुलाकात के दौरान नेताओं ने जयनगर के कटाहडीह में पेयजल की समस्या से अवगत कराते हुए उचित पहल करने की मांग की. प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य सुनील यादव, सरवर खां, मो हासिम, राजेंद्र प्रसाद, अरशद खान, सुखदेव यादव, राम प्रसाद साव आदि भी शामिल थे.
शौचालय निर्माण में गड़बड़ी का आरोप: मरकच्चो. प्रखंड के पुरनानगर पंचायत में कई लाभुकों का शौचालय निर्माण पूर्ण नहीं होने के बावजूद पंचायत को ओडीएफ घोषित करने के विरोध में पंचायत के अनिल कुमार सिंह पिता सहदेव सिंह ने बीडीओ को आवेदन दिया है. आवेदन में उन्होंने कहा है कि पंचायत के शौचालय निर्माण की सूची में मेरे पिता का नाम था. बावजूद मुखिया द्वारा व्यक्तिगत दुश्मनी को लेकर शौचालय बनाने नहीं दिया गया. इसके अलावा पंचायत के और भी लोग हैं, जिनकी मुखिया से व्यक्तिगत दुश्मनी है उनके शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया. यही नहीं जो भी शौचालय बने हैं वो एक माह के अंदर ही जर्जर हो गये हैं. इससे लाभुक अब उन शौचालयों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में विभाग द्वारा भी घोर लापरवाही बरती गयी है. आवेदक ने पूरे मामले के जांच की मांग की है.