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सूख गये कुएं व चेकडैम

बंद खदानों के पानी पर निर्भर है बड़ी आबादी खलारी : प्रखंड के 14 पंचायत में करीब 1000 सरकारी चापानल हैं. इनमें से 30 फीसदी पूरी तरह बंद हैं. कहीं का बोर धंस गया, तो कोई हल्की मरम्मत के अभाव में बेकार पड़े हैं. किसी का जलस्तर नीचे चला गया है अथवा पाइप सड़ गयी […]

बंद खदानों के पानी पर निर्भर है बड़ी आबादी
खलारी : प्रखंड के 14 पंचायत में करीब 1000 सरकारी चापानल हैं. इनमें से 30 फीसदी पूरी तरह बंद हैं. कहीं का बोर धंस गया, तो कोई हल्की मरम्मत के अभाव में बेकार पड़े हैं. किसी का जलस्तर नीचे चला गया है अथवा पाइप सड़ गयी है. बचे 70 फीसदी में 20 में से एक बाल्टी पानी भी नहीं निकलता है. गरमी का यही हाल रहा तो बचे चापानलों का जलस्तर भी नीचे चला जायेगा. क्षेत्र की गहराती कोयला खदानें भू-जलस्तर को लगातार नीचे ले जा रही है. मनरेगा के तहत बनाये गये 100 से ज्यादा कूओं का जलस्तर भी गरमी बढ़ते ही नीचे चला गया है. कुछ पूरी तरह सूख गये हैं. मनरेगा से दर्जनों तालाब बनाये गये, लेकिन उनमें पानी नहीं है. क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा चेकडैम बनाये गये हैं, लेकिन किसी में पानी नहीं है.
बंद खदानों के पानी पर निर्भर हैं लोग: बड़ी आबादी कोयले की बंद खदानों में जमा पानी पर ही निर्भर हैं. खलारी के बंद पड़े ओपेनकास्ट कोयला खानों, भूमिगत खानों तथा चूना पत्थर खदान में जमा पानी एक बड़ा जलभंडार है. कुशल प्रबंधन से क्षेत्र में पानी की समस्या हमेशा के लिए दूर हो सकती है.
पूरा नहीं हो सका वाटर ट्रीटमेंट प्लांट : प्रखंड के बुकबुका पंचायत में बनाया जा रहा 5.15 मिलियन लीटर प्रति दिन क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट सह पानी टंकी का काम इस गरमी में भी पूरा होने की उम्मीद नहीं है. यदि यह भी अपने तय समय में बन गया होता तो बुकबुका सहित प्रखंड के पांच पंचायतों खलारी, हुटाप, चूरी दक्षिणी व चूरी मध्य के ग्रामीणों के घरों में पानी मिल जाता.
सूख गये हैं क्षेत्र के कुएं : . खलारी में 14 पंचायत हैं. जिस पंचायत में कोयला खाने हैं, वहां के कुएं बेहाल हैं. सबसे अधिक तुमांग पंचायत में कुएं सूखे हैं. मुखिया सुशीला देवी के अनुसार आठ कुएं सूख गये हैं. तालाब भी सूख गया है. दो कुएं हैं, जहां से दूर-दराज से लोग आकर पानी ले जा रहे हैं. जलश्रोत के नाम पर दामोदर नदी है, जो आवासीय इलाके से दूर है. विश्रामपुर मुखिया गोविंद उरांव बताते हैं कि करकट्टा तथा जेहलीटांड़ में केडीएच खदान विस्तारीकरण ने जलसंकट खड़ा कर दिया है. करीब 20 कुएं में टैंकर से पानी डाल कर इन्हें जीवित किया जा रहा है. मायापुर मुखिया पुष्पा खलखो के अनुसार यहां 30 कुएं सूख गये हैं.
चूरी मध्य, चूरी पूर्वी, चूरी पश्चिमी तथा चूरी उत्तरी का बड़ा इलाका सीसीएल का है. इन इलाकों में ज्यादातर सीसीएल निर्मित कुएं ही हैं. किसी भी कुएं के पूर्णत: सूखने की सूचना नहीं है. चूरी उत्तरी के मुखिया संजय आइंद कहते हैं कि यहां छोटे-छोटे झरने पेयजल के लिए उपयोगी हैं. 65 में 55 चापानल सूख गये हैं. इसके अलावा बमने, राय, बुकबुका, चूरी दक्षिणी, लपरा, खलारी व हुटाप के मुखिया कुओं का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. बड़े जलश्रोत के रूप में दामोदर नदी, सोनाडूबी नदी, चट्टी नदी तथा सपही नदी हैं. लेकिन गरमी बढ़ते ही चट्टी नदी को छोड़ तीनों की जलधाराएं रेत के नीचे चली जाती हैं.
जल्द दुरुस्त किये जायेंगे चापानल : बीडीओ
बीडीओ खलारी रोहित सिंह ने कहा कि क्षेत्र के खराब चापानलों की जल्द ही मरम्मत करायी जायेगी. माइनिंग इलाकों में सीसीएल प्रबंधन से कह कर टैंकर से पानी उपलब्ध कराया जायेगा. पानी की किल्लतनहीं होगी.
पानी की समस्या का होगा निदान : प्रमुख
प्रखंड प्रमुख सोनी तिग्गा का कहना है कि खलारी में कोयला खानों के कारण पानी की समस्या हमेशा रहती है. ग्रामीण क्षेत्र में चापानल मरम्मत कराये जायेंगे. साथ ही नये चापानल लगाने की योजना है. पानी की समस्या का निराकरण किया जायेगा.

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