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काफी राशि खर्च, पर उपयोगिता शून्य
खलारी : राशि खर्च कर सीसीएल अपना सामाजिक दायित्व निभा देता है लेकिन उस खर्च की उपयोगिता समाजहित में हुई कि नहीं इसकी देखरेख करनेवाला कोई नहीं है. सीसीएल के एनके एरिया द्वारा कंपनी सामाजिक दायित्व (सीएसआर) वर्ष 2012-13 के तहत खलारी प्रखंड के करीब एक दर्जन गांवों में डीप बोर पंप सेट से वाटर […]
खलारी : राशि खर्च कर सीसीएल अपना सामाजिक दायित्व निभा देता है लेकिन उस खर्च की उपयोगिता समाजहित में हुई कि नहीं इसकी देखरेख करनेवाला कोई नहीं है. सीसीएल के एनके एरिया द्वारा कंपनी सामाजिक दायित्व (सीएसआर) वर्ष 2012-13 के तहत खलारी प्रखंड के करीब एक दर्जन गांवों में डीप बोर पंप सेट से वाटर सप्लाई योजना को कार्यरूप दिया गया. एक योजना की लागत करीब आठ लाख रुपये थी. इस योजना के तहत आठ इंच डीप बोर किया गया.
इसमें 7.5 एचपी का समरसिबल पंप डाला गया. बगल में इलेक्ट्रिक स्वीच रूम बनाय गया. इसके बाद बोर से लेकर गांव में वाटर सप्लाई पाइप बिछाकर जगह-जगह पानी के लिए प्वाइंट बनाया गया. खलारी के गांवों में जलापूर्ति के लिए सीएसआर की इस पूरी योजना में सीसीएल का करीब एक करोड़ रुपये खर्च किया गया. लेकिन योजना की उपयोगिता पूरी हुई कि नहीं इस बात को महत्व नहीं दिया गया. आज हाल यह है कि इनमें एक भी बोर उपयोगी नहीं हुआ.
बिजली के अभाव में फेल हो गयी डीप बोर पंप मोटर योजना : सीसीएल सीएसआर से बने आठ-आठ लाख की जलापूर्ति योजनाएं बिजली के अभाव में फेल हो गयी. जब समर्सिबल पंप लगाने की बात हो, तो उसे चलाने के लिए बिजली आवश्यक है. पूछने पर सीसीएल अधिकारी कहते हैं कि सीसीएल को केवल बोर, पंप, पाइप का काम करना था. बिजली देकर उसे चलाने की व्यवस्था संबंधित पंचायत की है. इधर पंचायत के मुखिया कहते हैं कि इस पंप को चलाने के लिए राज्य ऊर्जा विकास निगम से बिजली कनेक्शन लेना होगा और प्रत्येक माह बिजली बिल देना होगा. पंचायत के पास ऐसा कोई फंड नहीं है, जिससे बिजली बिल दिया जा सके. सीसीएल ने सीएसआर के तहत पंप लगाया है, उसे ही बिजली की व्यवस्था करनी चाहिए थी. बीडीओ भी इस योजना के लिए बिजली का खर्च वहन करने में असमर्थता जताते हैं.
निकाल ली गयी सप्लाई पाइप : बुकबुका में इस योजना की सप्लाई पाइप ही निकाल ली गयी. बोर को कोई देखने वाला नहीं है. खलारी पंचायत के जोबियाटांड़ (जेहलीटांड़) में डीप बोर अब निजी चहारदीवारी में कैद है.
अन्य जगहों की भी कुछ ऐसी ही स्थिति है.ग्रामीणों को थी संचालित करने की जिम्मेवारी : एसओसी : एनके एरिया के स्टाफ ऑफिसर सिविल सैयद बिलायतुल्लाह कहते हैं कि सीसीएल योजना को पूरी कर पानी चलाकर ग्रामीणों को सौंप दी. अब इसे संचालित करने की जवाबदेही ग्रामीणों की है. जलापूर्ति की मांग ग्रामीणों द्वारा ही की गयी थी. यह बताने पर कि पंप से कभी पानी का सप्लाई ही नहीं हुआ, एसओसी ने कहा कि वे छह-सात माह पूर्व ही एनके एरिया में आये हैं. सीएसआर अधिकारी से जानकारी लेकर ही बता पायेंगे कि कहां-कहां डीप बोर है व उन्हें कैसे उपयोगी बनाया जा सकता है.
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