श्री मुरमू ने कहा कि हमारे राज्य में 28 आदिवासी विधायक हैं. जिन्हें सिर्फ आदिवासी होने के नाते विधायकी मिली है. किंतु आज वे सभी विधायक चुप्पी साधे हुए हैं, उन्हें पार्टी व विधायिकी की चिंता है. आदिवासियों की उन्हें कोई चिंता नहीं है. उन्होंने कहा कि उक्त विधायक या तो एक्ट में संशोधन को रद्द करायें या इस्तीफा दें. अन्यथा पार्टी उन्हें जबरन इस्तीफा दिलायेगी. संयोजक मार्शल बारला ने कहा कि राज्य सरकार की नजर आदिवासियों की भूमि पर है.
उक्त दोनों एक्ट में संशोधन आदिवासियों की भूमि को हड़पने के लिए किया जा रहा है. सभी इसका तबतक विरोध करते रहेंगे, जब तक की उक्त एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव रद्द नहीं हो जाता है.
दामु मुंडा, भोला पाहन, दुर्गावती ऑड़ेया ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट आदिवासियों की जान है. इसी से आदिवासियों की अस्मिता की रक्षा है. किसी भी हालत में उक्त दाेनों एक्ट में संशोधन स्वीकार नहीं होगा. आदिवासियों की जल, जंगल, जमीन ही पहचान है. सभा के उपरांत जिले के विभिन्न प्रखंडों से आये हजारों की संख्या में लोगों ने कचहरी मैदान से एक रैली निकाली. रैली के दौरान सभी सरकार विरोधी नारे सहित आदिवासी विधायकों से इस्तीफा देने की मांग कर रहे थे. रैली भगत सिंह चौक से वापस आकर समाप्त हो गयी. मांगों के बाबत एक ज्ञापन डीसी को सौंपा गया.