– आदिवासी महिला को सिर मुड़वा कर गांव में घुमाने का
– पीड़िताओं की किसी ने नहीं ली सुधि
जामताड़ा : जिले के गोपालपुर पंचायत स्थित दुधकेवड़ा गांव की दो आदिवासी महिलाओं का सिर मुड़वाकर पूरे गांव में घुमाने वाले चार नामजद आरोपी को पुलिस आठ दिन बाद भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है. घटना बीते नौ अक्तूबर की है. पुलिस की कार्यशैली पर बुद्धिजीवी अंगुली उठा रहे हैं.
एक ही परिवार की दो आदिवासी महिला बाहामुन्नी टुडू व मियोदी हेंब्रम के घर घुस कर कुछ लोगों ने खुलेआम मारपीट की. यही नहीं झूठा आरोप लगा कर दोनों का बाल मुड़वा कर गांव में घुमाया. इसकी सूचना पुलिस को उसी दिन दी गयी. लेकिन पुलिस आज तक हाथ पर हाथ धरे बैठी है. मुख्यमंत्री जी के संतालपरगना में जब गरीब आदिवासी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं,
तंत्र अपना काम नहीं कर रहा है. पीड़िता को न्याय तो दूर उसकी सुरक्षा का इंतजाम भी नहीं किया. ऐसे में सरकार और उनके तंत्र पर कितना भरोसा किया जा सकता है.
क्या है एफआइआर में
दोनों पीड़िता ने थाने में दर्ज बयान में कहा है कि नौ अक्तूबर को उसके घर में गांव के चार लोग जबरन घुस आये तथा मारपीट करने लगे. घर से बाहर निकाल कर पूरे गांव वालों के सामने उनका साड़ी खींच कर नंगा करने की कोशिश की.
साथ ही उसका सर मुंड़वा कर मुंह में चूना पोत कर, गले में जूता का माला पहनाकर गांव में घुमाया. पुलिस ने कांड संख्या 342/13 तथा भादवि की धारा 341/ 342/ 452/324/326 ए/354बी/504/506/509/34 के तहत मामला दर्ज किया है. इस मामले में पीड़िता के बयान पर डाक्टर टुडू, विशा मुमरू, होपन टुडू व फनी हांसदा सहित अन्य अज्ञात 10 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है.
काफी गरीब परिवार की हैं पीड़िता
गोपालपुर पंचायत के दुधकेवड़ा गांव की रहने वाली मियादी हेंब्रम व उसकी ननद बाहमुन्नी टुडू दोनों गरीब परिवार से है. मियादी हेंब्रम के पति का स्वर्गवास हो चुका है. वहीं बाहमुन्नी टुडू को पति ने छोड़ दिया है. ये दोनों किसी तरह अपना रोजी रोटी चलाती है. गांव से शहर में जा कर मजदूरी कर अपने बच्चे और अपने बूढ़े सास व ससुर का भरन पोषण करती है.
क्या कहती है पीड़िता
पीड़िता मियादी हेंब्रम एवं वाहामुन्नी टुडू ने बताया कि गांव के दबंग लोगों ने गलत धंधा करने का आरोप लगाया है. इसी आरोप में ये लोग उनके घर घुसे आये और मारपीट करने लगे. जबकि वास्तविकता यह है कि हम लोग शहर में मेहनत मजदूरी करके किसी तरह अपने परिवार का भरन–पोषण कर रहे हैं.
आज तक हम लोगों को सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. हम लोगों को न तो इंदिरा आवास मिल पाया है और न ही बीपीएल का ही लाभ. किसी तरह हम लोग अपना जीवन यापन कर रहे है. लेकिन समाज के ठेकेदारों को ये रास नहीं आया और हम लोगों के साथ इस तरह की हरकत की. इस घटना के सात दिन बाद भी पुलिस कुछ नहीं कर रही है. चारों आरोपित खुले आम घुम रहे हैं. हम लोगों को डर है कि फिर कहीं ये लोग इस घटना की पुनरावृत्ति न कर दे.
सात दिन पहले आदिवासी बहुल जामताड़ा जिले के गोपालपुर पंचायत स्थित दुधकेवड़ा गांव में दो महिलाओं को सिर मुड़वा कर सरेआम घुमाया गया. जो लोग इस कृत्य में शामिल थे, वे तो प्रताड़ित कर ही रहे थे, समाज के अन्य लोग इस घटना को मूकदर्शक बन देख रहे थे.
गांव के चंद दबंग किस्म के लोगों के तालिबानी फरमान और पुलिस के ढुलमुल रवैये के कारण यह खबर अखबारों में प्रमुखता से स्थान नहीं पा सकी. प्रताड़ना, विरोध के बावजूद किसी तरह दोनों आदिवासी महिला थाने तक पहुंची. हिम्मत जुटाकर उन दबंगों के खिलाफ लिखित शिकायत कर जान–माल की रक्षा की गुहार लगायी. लेकिन पुलिस का रवैया देखिये, महज एफआइआर दर्ज करके छोड़ दिया.
नामजद अभियुक्त तो बनाये गये लेकिन एक सप्ताह बाद भी किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी. दोनों पीड़िता डरी –सहमी है.उन लोगों को यह आशंका है कि फिर से ये लोग प्रताड़ित कर सकते हैं. महिला प्रताड़ना का यह मामला संताल परगना की उस धरती से आया है, जहां से मुख्यमंत्री चुन कर आये हैं.
यह दिशोम गुरु का संसदीय क्षेत्र भी है. ऐसे में आदिवासी महिलाओं को प्रताड़ित करने के मामले को दबाना भी कम अपराध नहीं है. इसी कारण प्रभात खबर इस घटना को सात दिन बाद प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा है, ताकि दोनों पीड़िता को न्याय मिल सके.