विद्यासागर : हस्तकला की अहमियत सदियों से रही है और आज भी है. करमाटांड़ के गिरि बनवासी कल्याण केंद्र में रह रहे पूर्व राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी अमरनाथ वर्मा की पत्नी शकुंतला वर्मा 80 वर्ष की हो गयीं हैं. वे आज भी अपनी बूढ़ी आंखों से हस्तकला का डिजाइन बनाती हैं, जिसे देख कर सभी आश्चर्यचकित हो जाते हैं. जूट के बोरा में एक से बढ़ कर एक नक्काशी करती है. वे अपनी हस्तकला से भगवान हनुमान, लक्ष्मी की देवी सरस्वती, माता दुर्गा, सिदो-कान्हू मुर्मू, सुभाष चंद्र बोस सहित अन्य देवी- देवताओं के चित्र जूट के बोरे पर हू-ब-हू उतार देतीं हैं. शंकुतला देवी के इस कला के लिए समाज कल्याण मंत्री लोइस मरांडी, दुमका के पूर्व आइजी अरुण उरांव, संघ के क्षेत्र प्रचारक सिद्धनाथ आदि शंकुतला देवी को सम्मानित कर चुके हैं.
शंकुतला देवी बताती हैं कि वे इस कला को अपनी माता किशोरी देवी से सीखी हैं. बचपन में अपनी माता से सिलाई-कढ़ाई तथा नक्काशी का काम सीखा. कहती हैं आज भी इस उम्र में कला का काम जारी रखे हैं. बता दें कि गिरि वनवासी कल्याण केंद्र में रह रहे अमरनाथ वर्मा को करमाटांड़ क्षेत्र के लोग दादा जी के नाम से जानते हैं. इस लिहाज से उनकी पत्नी शंकुतला देवी को लोग दादी जी कह कर पुकारते हैं और उनकी हाथ की बनी चीजों को लेते हैं.