मिहिजाम : चितरंजन रेलनगरी के कस्तूरबा गांधी अस्पताल में एक चिरेका कर्मी धर्मवीर राउत (50) की इलाज के दौरान मौत हो गयी. धर्मवीर को बीती रात पेट में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में दाखिल कराया गया था. घटना पर कर्मचारी संघ के सदस्यों ने अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आलोक मजूमदार का घेराव […]
मिहिजाम : चितरंजन रेलनगरी के कस्तूरबा गांधी अस्पताल में एक चिरेका कर्मी धर्मवीर राउत (50) की इलाज के दौरान मौत हो गयी. धर्मवीर को बीती रात पेट में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में दाखिल कराया गया था. घटना पर कर्मचारी संघ के सदस्यों ने अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आलोक मजूमदार का घेराव किया और विरोध जताया. सदस्यों का कहना था कि अस्पतालकर्मियों की लापरवाही की वजह से धर्मवीर राउत की मौत हुई है.
इसके लिए दोषी को चिह्नित कर उसे सजा मिलनी चाहिए. रेलनगरी के स्ट्रीट नंबर- 35 ए क्वार्टर नंबर 3डी निवासी चिरेका में स्टील फाउंड्री में कार्यरत थे. मृतक की किडनी में खराबी रहने के कारण पूर्व से इलाज चल रहा था. गत रात्रि करीब साढ़े बारह बजे पेट में गैस की शिकायत के बाद उसे केजी अस्पताल के आइसीयू में भर्ती कराया गया. इधर मौत के विरोध में शुक्रवार की संध्या करीब चार बजे परिजनों तथा कर्मचारी संघ के सदस्य एपी वर्मा के नेतृत्व में लोगों ने सीएमओ का घेराव किया. केजी अस्पताल में मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने के अारोप लगाये. कहा कि धर्मवीर के साथ पूर्व में भी गलत व्यवहार किया जाता था.
मृतक स्टाफ कौंसिल केजी अस्पताल का सदस्य रह चुका था. वह अस्पताल की खामियों पर आवाज उठाते रहते थे. करीब दो घंटे तक चली बहस के बाद तीन सदस्यीय कमेटी गठन करने का निर्णय लिया गया. इसमें कर्मचारी संघ के एक व्यक्ति, एक चिरेका पर्सनल विभाग तथा एक चिरेका से बाहर के चिकित्सक रखे गये हैं, जो कारणों की जांच कर अपनी रिपोर्ट कमेटी को सौंपेगी.
परिजनों का आरोप डॉक्टर ने नहीं की जांच, नर्स के भरोसे मरीज को छोड़ा
मृतक के भाई परमवीर राउत ने आरोप है लगाया कि आइसीयू में दाखिल करने के बाद किसी डॉक्टर ने उसकी जांच नहीं की. नर्स के भरोसे उसे छोड़ दिया गया. सुबह करीब साढ़े चार बजे उसकी मौत हो गयी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन यह जानकारी परिजनों को नहीं दी. करीब आठ बजे सुबह धर्मवीर के मौत हो जाने की सूचना उपलब्ध करायी गयी. परिजनों का यह भी आरोप है कि आइसीयू के इंचार्ज डॉ जयदेव मित्रा को मरीज की रात्रि पहर हालात खराब होने की सूचना नहीं दी गयी. उन्हें सूचना दिये जाने से मरीज की जान बच सकती थी. जबकि मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी का कहना था कि उसकी रात्रि पहर जांच की गयी. प्रथम टेस्ट में कोई शिकायत नहीं मिली थी.