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अस्पताल भवन हो गया ध्वस्त

जामताड़ा : पशुओं की बीमारी व पशुपालकों को विभिन्न प्रकार का लाभ पशुपालन विभाग से मिलता है, लेकिन जामताड़ा जिले में विभाग की स्थिति बदतर है. यहां सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. चिकित्सक, कर्मी, दवा व आवास की की भी कमी है. इस कारण लोगों को योजनाओं को लाभ नहीं मिल रहा है. […]

जामताड़ा : पशुओं की बीमारी व पशुपालकों को विभिन्न प्रकार का लाभ पशुपालन विभाग से मिलता है, लेकिन जामताड़ा जिले में विभाग की स्थिति बदतर है. यहां सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. चिकित्सक, कर्मी, दवा व आवास की की भी कमी है. इस कारण लोगों को योजनाओं को लाभ नहीं मिल रहा है. इसके अलावा वर्षों पहले बने भवन भी ध्वस्त हो गये है, जो विभाग की व्यवस्था को दर्शाता है.

शौचालय व पीने का पानी नहीं
पशुपालन विभाग में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. कहीं शौचालय, तो कहीं पीने के पानी का भी नहीं है. ऐसे में कर्मचारी, चिकित्सकों को परेशानी हो रही है. इससे चिकित्सकों का मनोबल भी गिरता जा रहा है. चिकित्सकों के लिए न तो रहने की व्यवस्था और न ही अन्य प्रकार की कोई सुविधा अस्पतालों में उपलब्ध है. वर्षों पहले अस्पताल भवन, आवास व शौचालय बनाया गया है. इसकी मरम्मत नहीं की गयी. इस कारण अस्पताल, भवन तथा शौचालय जर्जर हो चुका है. कहीं अस्पताल भवन ध्वस्त हो गया है.
शौचालय उपयोग लायक नहीं हैं. आवास भी जर्जर हो चुका है. छत से पानी टपकता है. कुंडहित प्रखंड में पशुपालन विभाग के अस्पताल भवन जर्जर हो चुका है. बुल शेड ध्वस्त हो चुका है. जिले में दो-दो विधायक पशुपालन मंत्री रह चुके हैं, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
12 में से चार अस्पतालों में चिकित्सक नहीं
जिले में पशुपालन विभाग का 12 अस्पताल है. इसमें से चार अस्पतालों में चिकित्सक नहीं हैं. ऐसे में इन अस्पतालों से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. पबिया, नारायणपुर, खजुरी तथा गेड़िया अस्पतालों में चिकित्सक नहीं है. खजुरी अस्पताल में कर्मी भी नहीं है. जिसके कारण अस्पताल पिछले एक वर्ष से बंद पड़ा है. जिले के सभी अस्पतालों में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की कमी है.
तीन प्रखंड में बीएएचओ का पद रिक्त
जिले के तीन प्रखंडों में बीएएचओ का पद रिक्त पड़ा है. जिले के अनुमंडल पशुपालन पदाधिकारी का भी पद वर्षों से रिक्त है. नारायणपुर, नाला तथा कुंडहित प्रखंड में बीएएचओ का पद वर्षों से रिक्त है. इन प्रखंडों में टीवीओ ही सारा काम निबटाते हैं.
क्या कहते हैं जिला पशुपालन पदाधिकारी
जिले में चिकित्सक व कर्मचारी की काफी कमी है.अस्पताल भवन बहुत पहले बनी है, जो मरम्मत के अभाव में जर्जर हो चुकी है. प्रखंड स्तर पर चिकित्सकों के रहने लायक कोई व्यवस्था भी नहीं है. अस्पताल में कहीं पानी तो कहीं शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है. वे दुमका के क्षेत्रीय निदेशक के भी प्रभार में है. जामताड़ा के साथ अन्य जिलों को भी देखना पड़ता है.
– बालेश्वर चौधरी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जामताड़ा

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